नोटबंदी के बाद देश में बढ़ रहे कैशलेस लेनदेन पर साइबर हमले का खतरा बढ़ गया है। माइक्रो एटीएम और पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) मशीनें सबसे आसान निशाना हैं। इनसे क्रेडिट/डेबिट कार्ड्स का डेटा आसानी से चोरी हो सकता है। यह चेतावनी देश की सबसे बड़ी साइबर सुरक्षा एजेंसी सीईआरटी-इन ने दी है। एजेंसी ने सभी ग्राहकों, बैंकर्स कारोबारियों को स्किमिंग और मालवेयर के हमले से बचने के उपाय करने की चेतावनी दी।
सीईआरटी-इन ने बताया है, 'कोई डाटा चोर स्वाइप मशीन में एक छोटे इलेक्ट्राॅनिक उपकरण (स्कीमर मशीन यानी कार्ड रीडर) को लगाकर डेबिट और क्रेडिट कार्ड का गोपनीय नंबर और पासवर्ड जान सकता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। माइक्रो एटीएम कम पावर से चलते हैं। जीपीआरएस नेटवर्क के जरिए बैंकों के सर्वरों से जुड़े होते हैं। ऐसे में हैकर्स आसानी से डाटा चुरा सकते हैं। पीओएस में डाटा इनपुट टैक्स्ट के रूप में होता है। यानी पिन समेत कार्ड की गोपनीय जानकारी जस की तस सर्वर में दर्ज हो जाती है। हैकर्स इस डाटा को आसानी चुरा सकते है। यह सूचना मिलते ही आपके पैसे चोरी कर सकते हैं। हैकर्स माइक्रो एटीएम और पीओएस मशीन के पास छोटी सी इलेक्ट्रॅानिक मशीन (स्कीमर मशीन या कार्ड रीडर) लगाकर डाटा चोरी कर सकते हैं।
चेतावनी- हैकर्स नकली बैंक अफसर बन दुकानदार की मशीनों पर डिवाॅइस लगा सकते हैं।
सलाह- सेफ्टीफीचर्स मजबूत और लगातार अपडेट जरूरी है। डाटा टेक्स्ट की जगह सांकेतिक भाषा (एनक्रिप्टेड) में सर्वर में दर्ज हो।
उपाय- ट्रांजेक्शनके समय देखें कि स्वाइप मशीन से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तो नहीं जुड़ी है। मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड की जगह चिप वाले कार्ड का इस्तेमाल करें।
सतर्कता- उपयोग हो तो मशीन लॉगआउट करें। माइक्रो एटीएम सॉफ्टवेयर एंटी वायरस अपडेट रखें। पासवर्ड बदलते रहें। वाई-फाई की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
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साभार: भास्कर समाचार
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