शिक्षा विभाग खुद को पूरी तरह से आनॅलाइन कर रहा है। इसी कड़ी में मिड-डे मील को पूरी तरह से आनॅलाइन करने जा रहा है। अब मिड-डे मील तैयार होते ही इंचार्ज को मुख्यालय को मैसेज करना होगा। इससे पहले विभाग छात्रवृत्ति, ड्रेस व स्टेशनरी के रुपये सीधे खाते में भेज रहा है, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके। यह
पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शिक्षा विभाग निदेशालय के निर्देशों में सख्त हिदायत दी गई है कि संदेश सेवा आंकड़ों के सीधे प्रसारण के लिए शुरू की गई। इसलिए आंकड़े वैध ही भेजे जाएं। जारी हुए पत्र के अनुसार मिड-डे मील योजना के लिए स्वचालित निगरानी प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया है। विद्यालयों के मुखिया व मध्याह्न भोजन योजना के प्रभारी प्रतिदिन परोसे गए भोजन के आंकड़े पंजीकृत मोबाइल से एसएमएस के माध्यम से दर्ज करेंगे। आंकड़े स्कूल में हाजिर विद्यार्थियों के मुताबिक होनी चाहिए। पूरे भारत में चल रही मिड-डे मील योजना पर नजर रखने के लिए हिमाचल प्रदेश की एनआइसी नजर रख रही है। आंकड़े दर्ज करवाने के लिए नेशनल सूचना सेंटर की तरफ से टोल फ्री नंबर जारी किया गया है। हिमाचल प्रदेश एनआइसी की तरफ से मोबाइल एप भी बनाई गई है। जिसमें सभी स्कूलों को आंकड़े दर्ज करवाने होते हैं लेकिन प्रदेश के स्कूल मोबाइल एप को लेकर गंभीर नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के 14550 स्कूलों में मिड-डे मील दिया जा रहा है। मोबाइल एप के अनुसार मासिक रिपोर्ट 9 स्कूलों ने ही दी है तथा एप पर प्रदेश के सिर्फ 32 स्कूलों ने ही आंकड़े दर्ज करवाए हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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