सूचना के अधिकार के तहत सूचना देने में देरी करने पर सूचना आयोग दोषी अधिकारी को सिर्फ चेतावनी देकर नहीं छोड़ सकता। उस पर जुर्माना लगाना जरूरी है। हाई कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। दरअसल, कैथल की सेवानिवृत्त अध्यापिका चंद्रकांता ने आरटीआइ के माध्यम से अपने वेतन से संबंधित सूचना मांगी
थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। निर्धारित समय सीमा 30 दिन के अंदर सूचना नहीं मिली। प्रार्थी को राज्य सूचना आयोग की शरण लेनी पड़ी। सूचना आयोग में सुनवाई के एक दिन पहले प्रार्थी को सूचना प्रदान की गई। सूचना आयोग ने सूचना देने में हुई देरी के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, कैथल के सूचना अधिकारी को बिना कोई जुर्माना लगाए सिर्फ भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी देकर छोड़ दिया। याचिकाकर्ता ने अपने वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हाई कोर्ट में गुहार लगाते हुए कहा कि सूचना प्रदान करने में देरी करने के लिए अधिकारी को सिर्फ चेतावनी देकर नहीं छोड़ा जा सकता। सूचना देने में हुई देरी के दिनों के लिए ढाई सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना निर्धारित है। सूचना आयोग के पास जुर्माना लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जुर्माना न लगने के कारण अधिकारी सूचना के अधिकार कानून को गंभीरता से नहीं लेते। हाई कोर्ट ने बहस सुनने के बाद सूचना आयोग को हिदायत दी है कि सूचना देने में देरी के लिए दोषी अधिकारी को सिर्फ चेतावनी देकर न छोड़ें।
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साभार: जागरण समाचार
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