हरियाणा सरकार ने गुरुवार को जाटों समेत 6 जातियों को बीसी-सी कैटेगरी में आरक्षण देने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। हरियाणा में अब इन जातियों को तत्काल प्रभाव से आरक्षण का वास्तविक लाभ मिलने लगेगा। आरक्षण से जुड़ा विधेयक विधानसभा ने 29 मार्च, 2015 को ही पारित किया गया था। इस विधेयक में जाट, जट
सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी, मुल्ला जाट या मुस्लिम जाटों को क्लास वन और टू नौकरियों में 6 प्रतिशत, क्लास थ्री फोर और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था। हालांकि राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने बिल पर 15 अप्रैल काे ही अपनी मंजूरी दे दी थी। इसके बाद खट्टर सरकार ने करीब एक माह बाद अब इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अनुसूचित जातियां एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी टी.सी. गुप्ता ने बताया कि विधेयक का नोटिफिकेशन कर दिया गया है। यह शुक्रवार शाम तक वेबसाइट पर भी उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस विधेयक में अन्य जातियों का कोटा भी केवल बढ़ाया है, बल्कि उसे कानूनी रूप भी दिया गया है।
जानकारों के मुताबिक गवर्नर के साइन के बाद अधिसूचना में देरी की प्रमुख रूप से दो वजहेें हो सकती है। पहली - 10 मई को दिल्ली जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन के बाद केंद्र में जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने 5 जून से राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने का ऐलान किया था। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने घोषणा की थी कि आंदोलन हरियाणा से शुरू किया जाएगा।
दूसरा - राज्य में 15 नगर परिषद और 26 नगर पालिकाओं में 22 मई को वोटिंग होनी है।
जाधव हुए बहाल: प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट से ठीक पहले सरकार ने रोहतक के पूर्व आईजी श्रीकांत जाधव को बहाल कर दिया। आईजी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पद पर उनकी सेवाएं 26 मार्च 2016 से ही बहाल की गई हैं। रोहतक में हिंसा रोकने में नाकामी के आरोपों के चलते जाधव को पहले वहां से हटाकर मधुबन में आईजी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पद लगाया गया था। फिर उन्हें निलंबित कर दिया गया। गृह विभाग के सूत्रों ने बताया कि आईजी जाधव को तकनीकी कारणों से बहाल करना पड़ा है।
प्रकाश कमेटी आज सौंपेगी रिपोर्ट: जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा में निष्क्रिय रहे अफसरों की जांच कर रही प्रकाश सिंह कमेटी शुक्रवार सुबह 11 बजे सीएम को अपनी रिपोर्ट सौंपेंेगी। माना जा रहा है कि इसमें कुछ पुलिस और प्रशासनिक अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है। कमेटी में प्रदेश के डीजीपी डॉ. के.पी. सिंह भी सदस्य हैं। सिंह ने बताया कि कमेटी ने 71 दिन में करीब 400 पेज की रिपोर्ट तैयार की है। दो पार्ट वाली इस रिपोर्ट में करीब 50 पेज खुफिया विभाग (सीआईडी) की कार्य प्रणाली से जुड़े हुए हैं। कमेटी ने आंदोलन प्रभावित 8 जिलों में जाकर करीब 400 अधिकारियों और 2217 लोगों से मुलाकात की है। अगर अफसरों की लापरवाही नहीं रहती तो इतना बड़ा नुकसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि देशभर में हालांकि पुलिस की हालत खस्ता है, लेकिन हरियाणा में यह कुछ ज्यादा ही है। हिंसा के दौरान जहां कई अधिकारियों ने कायरता दिखाई, वहीं कुछ अधिकारी अपनी ड्यूटी पर मौजूद भी रहे। रिपोर्ट में उन्होंने सराहनीय काम करने वाले अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र देने की भी सिफारिश की है। साथ ही अपनी रिपोर्ट में पुलिस की मौजूदा कार्य प्रणाली में सुधार लाने के लिए भी कुछ सुझाव दिए हैं। गौरतलब है कि सीआईडी की भूमिका पर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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