Saturday, May 14, 2016

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: छुट्टियों में भी देना होगा मिड डे मील

सुप्रीम कोर्ट ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में गर्मी की छुट्टियों में भी बच्चों को मिड डे मील देने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने बच्चों को भविष्य बताते हुए राज्यों को निर्देश दिया है कि वे मिड डे मील में सप्ताह में पांच दिन या कम से कम तीन दिन अंडा या दूध अथवा अन्य पोषक पदार्थ जरूर दें। इसमें राज्यों का पैसे की कमी का
बहाना नहीं चलेगा। इसके अलावा कोर्ट ने मनरेगा के भुगतान में देरी को खेदजनक बताते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कोर्ट ने मनरेगा का बचा हुआ फंड तत्काल जारी करने का आदेश देते हुए टिप्पणी में कहा है कि मनरेगा की पचास फीसद से नीचे की सफलता दर कोई गर्व का विषय नहीं है। दो साल बाद भी राज्यों में खाद्य सुरक्षा कानून न लागू होने पर आश्चर्य जताते हुए कोर्ट ने राज्यों को मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कानून लागू करना राज्यों का दायित्व है वे इसके लिए फंड की कमी की आड़ नहीं ले सकते। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति एनवी रमना की पीठ ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भोजन व अन्य राहत सुनिश्चित करने के लिए शुक्रवार को तीन फैसले दिए। इसके पहले गत 11 मई को भी कोर्ट ने सूखे के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए थे। सूखे पर कोर्ट अभी तक कुल चार फैसले दे चुका है जिसमें सरकारों को निर्देशों की लंबी फेहरिस्त दी गई है। आज दिए फैसलों में कोर्ट ने राज्यों द्वारा संसद के बनाए कानून खाद्य सुरक्षा अधिनियम को दो साल बाद भी लागू न करने पर अफसोस जताया। कोर्ट ने कहा कि ये संसद का कानून है और इसे लागू करना राज्यों का दायित्व है। कानून लागू हुए दो साल से ज्यादा समय हो चुका है और अभी तक राज्यों ने इसे पूरी तरह लागू नहीं किया। गुजरात ने हाल में लागू किया है तो उत्तर प्रदेश ने 75 में से सिर्फ 28 जिलों में इसे लागू किया है। कोर्ट ने मनरेगा के भुगतान में देरी को अफसोसनाक बताते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में गर्मी की छुट्टियों में भी मिड डे मील दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा को विशेष तौर पर निर्देश दिया कि वे एक महीने के भीतर मिड डे मील में बच्चों को अंडा या दूध अथवा अन्य पोषक खाद्य पदार्थ देने की योजना शामिल करें। कोर्ट ने कहा है कि सूखा प्रभावित क्षेत्र कोई भी परिवार खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अनाज पाने से वंचित नहीं होना चाहिए चाहें उसके पास राशन कार्ड हो या न हो। कोर्ट ने कहा कि आपदा राहत प्रबंधन मे पहले से ही फसल के नुकसान का प्रावधान है और आरबीआइ के दिशा निर्देशों में कर्ज के पुर्नगठन का नियम मौजूद है इसका पालन किया जाए। कोर्ट इस मामले पर एक अगस्त को फिर सुनवाई करेगा। कोर्ट ने कहा कि समस्या से निपटने के तात्कालिक उपायों से काम नहीं चलेगा।
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साभारजागरण समाचार 
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