सभी अपने सपनों के आशियाने को खूबसूरत और आकर्षक बनाना चाहते हैं। पर
बढ़ती कंस्ट्रक्शन लागत का ख्याल आते ही हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं
कि यह सपना कैसे पूरा होगा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कंस्ट्रक्शन
कॉस्ट में बढ़ोत्तरी के बावजूद कैसे कम खर्च में मकान बनाया जा सकता है।
इसके लिए आपको बहुत कुछ नहीं करना है, बल्कि छोटी-छोटी बातों का ख्याल
रखना होगा।
नक्शे का चयन: घर का निर्माण कार्य पूरा करने में डिजाइन (नक्शे) का अहम रोल होता
है। घर का डिजाइन
फाइनल करने से पहले इंजीनियर से कई तरह के नक्शे बनाने को
कहें। फिर एक नक्शे से दूसरे नक्शे की तुलना करें। तुलना करते वक्त यह
देखें की नक्शे का कुल क्षेत्रफल कितना है और इस्तेमाल होने वाला यूजेबल
स्पेस कितना है। उनमें से जिस नक्शे में खाली स्पेस कम और यूजेबल स्पेस
अधिक हो, उसे ही फाइनल करें। इससे घर का बजट आश्चर्यजनक रूप से कम हो
जाएगा और कम खर्च में भी स्पेसियस घर का निर्माण करने में मदद मिलेगी।
नक्शे में बदलाव न करें: घर के निर्माण के दौरान ज्यादातर लोग किचिन, बाथरूम, डाइनिंग रूम आदि
के डिजाइन में बदलाव कराते हैं। इससे बचें, क्योंकि यह कंस्ट्रक्शन और
लेबर कॉस्ट को बढ़ा देता है। निर्माण के दौरान बदलाव से बचने के लिए नक्शे
का 3डी डिजाइन ले सकते हैं। 3डी डिजाइन नक्शा आज कल आसानी से उपलब्ध है
और इसको देखकर आप अपने घर की वास्तविक स्थिति का आसानी से आकलन कर सकते
हैं। इससे निर्माण के दौरान बदलाव करने की जरूरत भी नहीं होगी।
वर्गाकार घर बनाएं: विशेषज्ञों के अनुसार वर्गाकार घर के निर्माण में कंस्ट्रक्शन कॉस्ट
कम आती है। विशेषज्ञ बाताते हैं कि एक ही साइज के आयताकार और वर्गाकार घर
में कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 15 से 20 फीसदी का अंतर होता है। वर्गाकार घर की
कंस्ट्रक्शन कॉस्ट कम होती है। इसके अलावा सिंगल फ्लोर घर बनाने की बजाय
छोटे साइज के डबल स्टोरी घर का निर्माण करना चाहिए। इससे 25 फीसदी
कंस्ट्रक्शन लागत कम हो जाएगी, क्योंकि ऊपरी फ्लोर पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट
में बचत होती है।
कॉर्नर्स की संख्या कम करें: स्ट्रक्चरल इंजीनियर से ऐसा नक्शा बनाने के लिए कहें, जिसमें कॉर्नर्स
की संख्या कम हो। इसकी वजह यह है कि घर का कोना बनाने में ज्यादा
मेटेरियल लगता है और मजदूरों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे लागत बढ़ जाती
है। घर में अधिक कोने से घर की खूबसूरती भी प्रभावित होती है। एक बेहतरीन
डिजाइन में घर के पीछे और अगल-बगल में कोनों की संख्या बहुत कम होती है।
घर में कम हो दीवारों की संख्या: घर के अंदर दीवारों की संख्या कम से कम होनी चाहिए। इसके साथ ही
बाहरी दीवार की तुलना में भीतरी दीवार की मोटाई भी कम रखें। इससे घर
स्पेसियस होगा और कंस्ट्रक्शन खर्च में भी कमी आएगी। घर के अंदर दरवाजों
और खिड़कियों की जगह मेहराब का इस्तेमाल करें। दरवाजे और खिड़की की
संख्या कम होने से घर की लागत कम जाती है और लुक भी खूबसूरत लगता है।
बिल्डिंग मेटेरियल्स: घर की कुल लागत में 65 फीसदी खर्च मेटेरियल्स पर होता है। घर बनाने
में सही मेटेरियल्स का चयन कर खर्च कम कर सकते हैं। फ्लोर, किचिन,
इलेक्ट्रिकल वायरिंग, वुडन वर्क आदि में लगने वाला मेटेरियल कहां से कम
कीमत में बेहतर मिल सकता है, इसका पता करें। इसके साथ ही सही प्रोडक्ट का
चुनाव करें। मार्केट में एक ही तरह के ब्रांडेड और साधारण प्रोडक्ट की
कीमतों में बड़ा अंतर होता है। ध्यान रखें कि घर में कहां पर ब्रांडेड
प्रोडक्ट्स की जरूरत है और कहां पर साधारण प्रोडक्ट्स से काम चल सकता है।
इससे भी खर्च को कम कर सकते हैं।
अनुभवी ठेकेदार का चयन: आम तौर पर होता है कि घर के निर्माण में लोग इंजीनियर से नक्शा बनवाने के
बाद खुद से काम करना शुरू कर देते हैं। ऐसा न करें। इससे घर की कंस्ट्रक्शन
कॉस्ट बढ़ जाती है, क्योंकि आपके पास निर्माण से जुड़ी जानकारी नहीं होती
है। इस चक्कर में मेटेरियल की खपत और बरबादी ज्यादा होती है। लेबर पर भी
अधिक खर्च होता है। इससे लागत बढ़ जाती है जबकि एक अनुभवी ठेकेदार को
कंस्ट्रक्शन से जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी होती है। वह कम लेबर में अधिक
काम निकाल लेगा। मेटेरियल की बरबादी भी कम होती है।
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साभार: भास्कर
समाचार
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