Saturday, April 11, 2015

IB का बड़ा खुलासा: नेहरू करवाते थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के परिवार की जासूसी

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत की गुत्थी अभी तक भले न सुलझी हो, लेकिन नेहरू सरकार के उनके परिवार की दो दशक तक जासूसी कराने के खुलासे ने नया विवाद जरूर खड़ा किया है। हाल ही में सार्वजनिक हुए खुफिया ब्यूरो को दो गोपनीय दस्तावेजों के मुताबिक देश प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निर्देश पर 1948 में बोस के परिजनों की जासूसी शुरू की गई थी, जो 1968 तक जारी रही। वैसे दस्तावेज में इस जासूसी के असली उद्देश्य के बारे में कुछ नहीं बताया गया है। गौरतलब है कि सुभाष चंद्र बोस से जुड़े कुल 63 गोपनीय दस्तावेज हैं। इनमें से दो दस्तावेजों को 17 नवंबर को सार्वजनिक किया गया था। 61
दस्तावेज अभी तक गोपनीय हैं। सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों को राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखा था। इन दस्तावेजों के मुताबिक इस दौरान कोलकाता स्थित बोस के परिजनों के दो घरों की खुफिया विभाग ने निगरानी की थी। पहला पता एक वुडबर्न पार्क और दूसरा 38/2 एल्गिन रोड का है। इस दौरान नेताजी के परिवार वालों के लिखे गये पत्रों और बाहर से आए पत्रों को भी खोलकर पढ़ा जाता था और उनकी फोटोकापी भी रख ली जाती थी। उनके परिजनों का पीछा किया जाता था और उनकी विदेश यात्र का पूरा ब्योरा बनाया जाता था। दस्तावेज के मुताबिक इस दौरान नेताजी के दो भतीजों शिशिर कुमार बोस व अमियनाथ बोस पर कड़ी नजर रखी जाती थी। 1दस्तावेजों से यह साफ नहीं है कि नेताजी के परिजनों की जासूसी के पीछे नेहरु सरकार का उद्देश्य क्या था। नेताजी के परपौत्र चंद्रकुमार बोस का कहना है कि जासूसी तो उनकी की जाती, जिन्होंने कोई अपराध किया हो। सुभाष बाबू और उनके परिजनों ने तो देश की आजादी में अपना योगदान दिया था। ऐसे में उनके परिवार पर नजर रखने की बात चौंकाने वाली है।

साभार: अमर उजाला समाचार
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