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हरियाणा अधीनस्थ लेखा सेवा के तहत सैकड़ों पदों के लिए पिछले साल आयोजित
परीक्षा सवालों के घेरे में आ गई है। हाईकोर्ट ने इस परीक्षा में बड़े स्तर
पर हुई धांधली को देखते हुए हाईकोर्ट के दो वकीलों, एडवोकेट जनरल कार्यालय
के एक कानून अधिकारी की कमेटी गठित कर दी है, जो 3,800 से ज्यादा उत्तर
पुस्तिकाओं की जांच कर स्टेटस रिपोर्ट देगी। फतेहाबाद निवासी संजय कुमार ने
याचिका दायर कर हरियाणा अधीनस्थ लेखा सेवा के हिपा (लोक प्रशासन संस्थान
हरियाणा) गुड़गांव द्वारा पिछले साल जून माह घोषित परिणाम को
चुनौती दी।
याचिकाकर्ता के वकील गौरव जैन ने इस नियुक्ति में उच्च स्तर पर धांधली की
जानकारी दी। जैन ने बताया कि इस परीक्षा में अपने लोगों को नियुक्ति देने
के लिए सभी नियमों को ताक पर रखा गया है। गौरव जैन ने पीठ के सामने सूचना
के अधिकार के तहत मांगी गई कुछ उत्तर पुस्तिका पेश की, जिसमें कुछ
उम्मीदवार के चयन के लिए उनके कटिंग कर अंक बढ़ाए गए जबकि योग्य उम्मीदवार
के कुछ सवाल जांचे ही नहीं गए। उनके अंक का योग भी गलत किया गया ताकि उनका
चयन न हो पाए। जैन ने बेंच को बताया कि हरियाणा अधीनस्थ लेखा सेवा के लिए
केवल राज्य सरकार के कर्मचारी ही परीक्षा देते हैं। यह परीक्षा दो पार्ट
में होती है। सरकार प्रथम पार्ट पास करने के बाद सेक्शन अधिकारी के पद पर
उन कर्मचारियों की नियुक्ति करती है। पिछले साल भी प्रथम पार्ट के लिए
सरकार ने 186 उम्मीदवारों का सेक्शन अधिकारी के पद पर चयन किया। हरियाणा
ट्रेजरी व खजाना विभाग के अधीन इन पदों की भर्ती का जिम्मा लोक प्रशासन
संस्थान को सौंपा गया था। चयन के लिए कुल पांच पेपर के 600 अंक मे से 45
प्रतिशत व प्रत्येक पेपर में न्यूनतम 40 अंक लेने थे। इस भर्ती में केवल
नियर व डियर का चयन किया गया है। याचिकाकर्ता ने आरटीआइ के तहत अपनी उत्तर
पुस्तिका मांगी। उसे यह देख कर हैरानी हुई कि उसके पेपर संख्या तीन में
प्राप्तांक 68 है लेकिन टोटल गलत कर उसे 44 अंक दिए गए। पेपर दो में कुछ
सवालों की जांच ही नहीं की गई और कुछ के सही उत्तर होने के बाद भी गलत करार
दिया गया। इस बाबत उसने विभाग व लोक प्रशासन संस्थान हरियाणा से शिकायत भी
की लेकिन उन्होने कोई कदम नहीं उठाया। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को
बताया कि कुछ चयनित उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिका देखकर हैरानी हुई। उनकी
उत्तर पुस्तिका पर कंटिग कर अंक बढ़ा दिए गए। उत्तर पुस्तिका जांचने के लिए
कोई पैमाना नहीं अपनाया गया। 1जस्टिस राजेश बिंदल ने सरकार से याचिकाकर्ता
की उत्तर पुस्तिका कोर्ट में पेश करने को कहा। पीठ को भी हैरानी हुई कि
जांचने में कितनी लापरवाही हुई है। पीठ ने इन उत्तर पुस्तिका की जांच करने
वाले परीक्षकों के नाम पूछे ताकि उन पर कार्रवाई हो सके। साथ ही, लगभग 3832
उत्तर पुस्तिका जांचने के लिए कमेटी गठित कर दी। यह कमेटी यह जांच करेगी
कि कैसे कटिंग व अन्य तरीके से जांच में अनियमितता हुई है। गौरतलब है कि
हरियाणा लोक प्रशासन के निदेशक हरियाणा के पूर्व डीजीपी रंजीव सिंह दलाल
हैं। हाईकोर्ट ने निदेशक व राज्य सरकार से भी जवाब तलब किया हुआ है।
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साभार: जागरण समाचार
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