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मध्य प्रदेश के शाजापुर में बोलाई गांव में एक ऐसा मंदिर है जहां
से गुजरते समय हर ट्रेन धीमी हो जाती है। मंदिर के सामने से गुजरते समय
ट्रेन के धीमा होने के पीछे का कारण इस मंदिर से जुड़ी आस्था को बताया जाता
है। इसी आस्था का एक प्रमाण पिछले दिनाें भी देखने को मिला। हनुमानजी के इस मंदिर के सामने वाले रेलवे ट्रैक पर दो माल गाड़ियों
की आमने-सामने भिड़ंत हो गई। दुर्घटना के दौरान मालगाड़ी के एक चालक को
संकटमोचन की महिमा व चमत्कार का आभास हुआ। आैर घटना के बाद जब ड्राइवर को
होश आया तो वाे ट्रैक के पास ही मौजूद एक पेड़ के नीचे सुरक्षित बैठा मिला।
ड्राइवर का कहना था कि उसे मालूम ही नहीं रहा कि आखिर क्या हुआ है। दिलचस्प है कि बरसों पहले भी ट्रेन की भिडंत का हादसा यहां हुआ था। तब
भी सभी पैसेेंजर सुरक्षित बच गए थे। तब से यह स्थान रेलवे के अधिकारी एवं
कर्मचारियों के लिए विशेष आस्था का केंद्र माना जाता है। और कहते हैं कि
जितनी बार यहां ट्रेन नहीं रूकी किसी न किसी तरह से ट्रेन का एक्सीडेंट हो
गया। मंदिर के पुजारी पं. नारायणप्रसाद उपाध्याय ने बताया कि तेज गति से
चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों की गति भी बाबा के मंदिर के सामने धीमी पड़
जाती है। दिलचस्प है कि इस चमत्कारी स्थान की प्रदेश के अलावा देश के कई
हिस्सों में ख्याति है। हनुमान जयंती एवं संकटमोचन के विशेष दिनों के अलावा
यहां पर हर दिन सुबह से शाम तक संकटमोचन के जयकारे गूंजते रहते हैं। पूरे
सप्ताह यहां पर श्रद्धालु का जमावड़ा रहता है। मंगलवार व शनिवार को देश भर
से हजारों भक्त यहां आकर संकटमोचन के दर्शन कर कामना करते हैं।
एक ही मूर्ति में संकटमोचन व गजानन: हनुमान मंदिर की मध्य प्रदेश और दूसरे प्रदेश में ख्याति के पीछे कई
पौराणिक व चमत्कारिक गाथाएं जुड़ी हैं। इस मंदिर में विराजित एक ही मूर्ति
में दर्शनार्थी दो देवताओं के दर्शन करते हैं। दक्षिण मुखी हनुमानजी की
प्रतिमा की दाहिनी कोख में गणेश जी की प्रतिमा भी संलग्न है। इसीलिए यहां
के संकटमोचन को सिद्धवीर हनुमान के नाम से जाना जाता है। बुजुर्गों का कहना
है कि संकटमोचन की ऐसी प्रतिमा अन्य कहीं दुर्लभ ही देखने को मिलती है।
आखिर कैसे हुई इस चमत्कारी मंदिर की स्थापना: मध्य प्रदेश के शाजापुर में बोलाई गांव के अलावा पूरे प्रदेश में कुल
12 हनुमान खेड़े हैं। इस मंदिर के आसपास रहने वाले बुजुर्गों की मानें तो
इस मंदिर को कई सौ साल पहले 12 टोलों (घूम-घूम कर भजन-कीर्तन करने वाले
लोगों का समूह) के लोगों ने मिलकर बनाया था। उन्होंने इस मंदिर की स्थापना
की और फिर इस जगह को बोलाई गांव नाम दिया गया। वर्तमान में गांव के अलावा सभी पुराने मजरे टोले वीरान हो चुके हैं।
लेकिन उन सभी 12 स्थानों पर बने मंदिरों में हनुमानजी की प्रतिमा आज भी जस
की तस शोभायमान है। यहां के प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने वाले वरिष्ठ अध्यापक प्रेमनारायण
रावल ने बताया वैसे तो सभी हनुमान मंदिरों का अपना-अपना महत्व है। लेकिन
पुराने समय के अद्भुत चमत्कारों से बोलाई रेलवे स्टेशन स्थित सिद्धवीर
हनुमान की प्रदेश भर में अलग ही पहचान गई है।
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साभार: भास्कर समाचार
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