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भारतीय सिनेमा (बॉलीवुड) की पहली एक्ट्रेस देविका रानी यदि आज
होतीं तो पूरी 107 साल की हो गई होतीं। उनका जन्म 30 मार्च 1908 में
विशाखापत्तनम में हुआ था। देविका का शुरुआती जीवन यूके में बीता है, जहां
उन्होंने बोर्डिंग स्कूल में रहकर पढ़ाई की। बता दें कि जिस तरह देविका को
बॉलीवुड की पहली एक्ट्रेस थीं, ठीक वैसे ही उनके पिता कर्नल मन्मथा नाथ
चौधरी मद्रास प्रेसिडेंसी के पहले भारतीय सर्जन थे। बता दें कि सिगरेट और
शराब के नशे की आदी होने और शॉर्ट टेम्पर होने के कारण देविका को ड्रैगन
लेडी के नाम से भी जाना जाता था। जानते हैं उनके बारे में कुछ बातें:
फिल्मों में डेब्यू: देविका ने साल 1933 में हिमांशु राय के प्रोडक्शन में बनी फिल्म
'कर्मा' से फिल्मों में डेब्यू किया था। इस फिल्म में हिमांशु लीड एक्टर भी
थे। 'कर्मा' किसी भारतीय द्वारा बनाई गई पहली अंग्रेजी टॉकी थी। इतना ही
नहीं, यह पहली भारतीय फिल्म थी, जिसमें किसिंग सीन दिया गया था। दिलचस्प
बात यह है कि हिमांशु राय और देविका रानी द्वारा दिए गए इस किसिंग सीन की
टाइमिंग 4 मिनट थी, जो 82 साल बाद भी हिंदी सिनेमा में एक रिकॉर्ड है। बता
दें कि हिमांशु से देविका की पहली मुलाकात 1928 में हुई थी। इसके बाद 1929
में देविका ने हिमांशु की शॉर्ट फिल्म 'अ थ्रो ऑफ डाइस' (1929) के लिए
बतौर कॉस्टयूम डिजाइनर काम किया था।
हिमांशु राय से शादी: 1929 में देविका रानी की हिमांशु राय से शादी हो गई थी। इसके बाद
दोनों जर्मनी चले गए, जहां देविका बर्लिन के UFA स्टूडियो में फिल्म मेकिंग
की बारीकियां सीख रही थीं। कर्मा की रिलीज के बाद हिमांशु ने बॉम्बे टॉकीज
नाम से स्टूडियो स्थापित किया और 5-6 साल तक कई सुपरहिट फिल्में दीं।
इनमें से कई फिल्मों में देविका ने बतौर लीड एक्ट्रेस काम किया। 1940 में
हिमांशु राय के निधन के बाद देविका ने स्टूडियो की जिम्मेदारी अपने हाथों
में ली। उन्होंने अशोक कुमार और शशधर मुखर्जी के साथ पार्टनरशिप में कई
फिल्में प्रोड्यूस कीं। हालांकि, ये फिल्में सफल नहीं रहीं और देविका ने
इंडस्ट्री को छोड़ने का फैसला ले लिया।
नेहरु परिवार से थे अच्छे संबंध: देविका और उनके दूसरे पति स्वेतोस्लाव के नेहरु परिवार से काफी अच्छे
संबंध थे। दरअसल, 1945 में देविका रानी ने रूसी पेंटर स्वेतोस्लाव रोएरिच
से दूसरी शादी की थी। शादी के बाद दोनों मनाली, हिमाचल प्रदेश चले गए। यहीं
उनकी मुलाकात पंडित जवाहरलाल नेहरु और उनके परिवार से हुई। कहा जाता है कि
नेहरुजी देविका के बहुत बड़े प्रशंसक थे। मनाली में कुछ साल बिताने के बाद
देविका और उनके पति स्वेतोस्लाव बैंगलोर शिफ्ट हो गए और अपनी एक एक्सपोर्ट
कंपनी खोल ली। 9 मार्च 1994 को भारतीय सिनेमा की यह पहली एक्ट्रेस दुनिया
को अलविदा कह गई।
पहला दादा साहब फाल्के अवॉर्ड: 1958 में भारत सरकार ने देविका रानी को पद्मश्री सम्मान दिया। इसके
अलावा, भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहब फाल्के सबसे पहले (1969
में) उन्हें ही मिला था। 1990 में देविका को सोवियत रूस ने 'सोवियत लैंड
नेहरु अवॉर्ड' से उन्हें सम्मानित किया। फरवरी 2011 में सूचना और प्रसारण
मंत्रालय द्वारा उनकी याद में एक डाक टिकट भी जारी किया था।
एक्टिंग के 10 साल: देविका ने 1933 में फिल्म 'कर्मा' के जरिए सिनेमा में एंट्री ली थी और
1943 में रिलीज हुई 'हमारी बात' बतौर एक्ट्रेस उनकी आखिरी फिल्म थी। 10
साल के करियर में 'जवानी की हवा' (1935), 'ममता और मियां बीवी' (1936),
'जीवन नैया' (1936), 'सावित्री' (1937), 'वचन' (1938) और 'अनजान' (1941)
जैसी कई फिल्में की थीं।
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साभार: भास्कर समाचार
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