Sunday, March 29, 2015

249 गाँवों और शहरों को डुबो कर बनाया गया भारत का ये सबसे विशाल बाँध



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इंदौर में खंडवा स्थित इंदिरासागर बांध। देश का सबसे बड़ा जलाशय है। यहां इंसानों के मजबूत इरादों ने बूंद-बूंद पानी को इतनी ताकत दे दी कि यह ऊर्जा और हरित क्रांति का आधार बन गया। 12 अरब 20 करोड़ घनमीटर की जल क्षमता समेटे इस बांध से 2735 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। 70 हजार हेक्टेयर ने हरियाली की चादर ओढ़ ली। अब एक और इतिहास जुड़ने जा रहा है। 1320 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए थर्मल प्लांट का काम शुरू हो गया है। पांच साल बाद यहां 4055 मेगावाट बिजली पैदा होते ही यह देश का सबसे बड़ा पावर हब बन जाएगा। 2025 तक 1600 मेगावाट का एक और थर्मल पावर का उदय होगा। इसके बाद यहां 5655 मेगावाट बिजली उत्पन्न होने लगेगी। इतनी बिजली देश के कई छोटे राज्यों के कुल उत्पादन से भी ज्यादा है। 249 गांव, शहर डूबा तब ऊर्जा का सूरज उदय हुआ: इंदिरासागर बांध का भूमिपूजन 1984 में इंदिरा गांधी ने किया। लंबे इंतजार के बाद 2004 में यह बना। तब 249 गांव और 20 हजार की आबादी वाला शहर हरसूद डुबोना पड़ा। यहां 60 हजार परिवार विस्थापित हुए। यह बांध 913.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। 
जलाशय के 96 टापू पर्यटन को देंगे नई ऊंचाई: बांध में 96 टापू हैं। हनुमंतिया पर्यटन के लिए तैयार है। क्रूज व बोट आ गईं है। एस्सेल ग्रुप ने एक टापू को 30 साल की लीज पर लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सिंगाजी थर्मल पावर के आसपास राख से ईंट बनाने के उद्योग शुरू हो रहे हैं। कुछ सालों में खंडवा उद्योग का हब होगा। 
3 साल बाद 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र होगा हराभरा: इंदिरासागर बांध की नहरों ने धरती को हरियाली की चादर ओढ़ा दी है। दो नहरों से 70 हजार हेक्टेयर में फसल होने लगी। किसान सालभर में तीन फसल ले रहे हैं। सिंहाड़ उद्वहन योजना का काम शुरू हो गया। तीन साल बाद कुल 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होने लगेगी।
कुछ और ख़ास: 
  • नहरों से पानी जमीन में गया तो गेहूं की मांग अफगानिस्तान पहुंच गई। यहां के गेहूं में प्रोटीन ज्यादा है।
  • इंदिरासागर-ओंकारेश्वर बांध व सिंगाजी थर्मल प्लांट से इतनी बिजली बन रही कि पूरा उत्तराखंड रोशन हो जाए।
  • चारों ओर पानी से घिरे टापू प्रकृति के इतने करीब है कि पर्यटन खींचे चले आते हैं। 
साभार: भास्कर समाचार
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