देशभर के विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों को अब विद्यार्थियों को नई
तकनीक से अवगत करवाने के लिए ओर दम लगाना होगा, क्योंकि इस नए सत्र से
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने प्राध्यापकों के लिए शोध करना अनिवार्य कर
दिया है। इससे कहीं न कहीं शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही
विद्यार्थी नई तकनीक से भी रूबरू हो सकेंगे। इसको लेकर यूजीसी ने देशभर के
विश्वविद्यालयों को एक पत्र भेजा है। पत्र के मुताबिक यूजीसी ने कुलपतियों
को आदेश दिए हैं कि वे नए सत्र 2015-16 से उनके विश्वविद्यालयों में
कार्यरत प्राध्यापकों से नए-नए शोध करवाएं, ताकि शिक्षा गुणवत्ता को और
अधिक बल मिल सके। वहीं यूजीसी ने यह भी आदेश दिए हैं कि प्राध्यापकों को
शोध का पुरस्कार केवल एक ही बार मिलेगा। बता दें कि पिछले काफी समय से
प्राध्यापकों की शोध में रूचि नजर नहीं आ रही है। इस कारण विद्यार्थियों को
नई-नई जानकारियां भी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में यूजीसी की इस पहल से
विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
एक मुश्त में मिलेगा अनुदान: पत्र के जरिए
यूजीसी द्वारा कुलपतियों को यह भी जानकारी दी गई है कि विश्वविद्यालयों को
मिलने वाला अनुदान अब केवल एक ही मुश्त में मिलेगा। साथ ही वे अनुदान की
राशि को पहले की तरह वापस नहीं लौटा सकेंगे। अनुदान में मिलने वाली राशि को
वे किसी भी योजना पर खर्च कर सकेंगे। इससे पूर्व विश्वविद्यालयों को हर
योजना के लिए अलग-अलग राशि खर्च करनी पड़ती थी। साथ ही पहले विश्वविद्यालय
यूजीसी को प्रस्ताव बनाकर भेजते थे कि उन्हें किस योजना में कितने रुपयों
की जरूरत है। अब इस बात की अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी, सिर्फ एक बार प्रस्ताव
बनाकर ही भेजना होगा। पत्र के अनुसार विश्वविद्यालयों को यह भी आदेश जारी
किए गए हैं कि वे उन्हें अनुदान में देने वाली राशि का इस्तेमाल भवन
निर्माण पर पचास फीसद से अधिक नहीं कर सकेंगे।
विद्यार्थियों को मिलेगा
फायदा: चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. आरके यादव का
कहना है कि यूजीसी की प्राध्यापकों द्वारा शोध अनिवार्य करने की पहल
सराहनीय है।
इससे शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ेगी। इसका सीधा बेनीफिट विद्यार्थियों को
होगा।
साभार: जागरण समाचार