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मोबाइल
फोन उपभोक्ता अब शहर बदलने पर भी अपने पुराने नंबर को जारी रख सकते हैं,
यहां तक कि मोबाइल सेवा ऑपरेटर बदलने पर भी। दूरसंचार नियामक 3 मई से भारत
भर मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) की सुविधा शुरू करने वाला है।
हालांकि, अभी पूरी तरह से ये सुविधा लागू होने पर संशय है, लेकिन कुछ
सर्किल में ये सुविधा शुरू हो सकती
है। भारत में कुल 22 टेलिकॉम सर्किल या
सर्विस एरिया हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आसान से 6 स्टेप्स से आप नंबर पोर्टेबिलिटी का इस्तेमाल कर सकते हैं:
6 आसान स्टेप और बदल जाएगी कंपनी:
- मोबाइल फोन से (PORT) पोर्ट 10 अंकों का मो.नं. लिखकर उसे यूनिक नंबर 1900 पर मेसैज करना होगा।
- एसएमएस भेजते ही आपको आठ अंकों का यूनिक पोर्टिंग कोड (यूपीसी) प्राप्त हो जाएगा।
- इस कोड को एक निर्धारित फार्मेट (एमएनपी), कस्टमर एप्लीकेशन फार्म के साथ कंपनी के आउटलेट पर एक फोटो और एड्रेस प्रूफ सहित जमा कराना होगा।
- नई कंपनी द्वारा आपको नई सिम दी जाएगी। यह सुनिश्चित करने के बाद कि कोई बकाया नहीं है मौजूदा कंपनी हरी झंडी देगी।
- प्रक्रिया पूर्ण होने में लगने वाले घंटे एसएमएस के माध्यम से उपभोक्ता को बताएगी। आपके खाते में से 19 रुपए काटे जाएंगे।
- नेटवर्क शिफ्टिंग का उपभोक्ता को एसएमएस प्राप्त होगा तो उपभोक्ता को नई सिम लगानी होगी। इसके बाद आपकी कंपनी बदल जाएगी।
यह हैं सीमाएं:
- पुरानी कंपनी का कुछ बकाया लेकर अगर कंपनी बदली है तो बकाया 90 दिनों में जमा कराना होगा नहीं तो इसके बाद नई कंपनी भी नंबर बंद कर सकती है।
- यह पता लगाने में दिक्कत होगी कि यह नंबर वर्तमान में किस कंपनी के पास है। इससे इंटर कंपनी मिलने वाले लुभावने ऑफर को उपभोग करने में परेशानी हो सकती है।
- जो भी बैलेंस है उसका मोह छोड़ना होगा क्योंकि वो कैरीफॉरवर्ड नहीं होगा। नई सिम में बैलेंस जीरो रहेगा। फिर से समस्त रिचार्ज कराना होंगे।
- जब अंतिम रूप से एक कंपनी नई कंपनी को नंबर हैंडओवर करेगी तब दो घंटे के लिए मोबाइल में नेटवर्क नहीं रहेगा। हालांकि यह समय अमूमन देर रात का ही होगा।
- एक कंपनी के साथ कम से कम 90 दिनों के लिए तो रहना ही होगा, इसके पहले आप कंपनी नहीं बदल पाएंगे।
- यूपीसी कुछ दिनों के लिए ही मान्य होगा कंपनी नहीं बदलने पर वो अपने आप रद्द हो जाएगा।
यह सुविधाएं मिलेंगी:
- उपभोक्ता अगर सीडीएमए नंबर से परेशान हैं तो वो दूसरी कंपनी के जीएसएम में भी उस नंबर को बदल सकता है।
- पोस्टपेड से प्रीपेड और प्रीपेड से पोस्टपेड भी मोबाइल नंबर को नई कंपनी के साथ बदला जा सकता है।
ये नंबर नहीं बदल सकेंगे कंपनी:
- मोबाइल नंबर जो किसी एग्रीमेंट के तहत जारी किया गया हो।
- नंबर कॉपरेरेट या कंपनी द्वारा प्रदान किया गया हो।
- नंबर जो सेवा विशेष के लिए जारी किया गया हो जैसे हेल्पलाइन,एम्बुलेंस, इमरजेंसी।
- नंबर जांच एजेंसी,कोर्ट इन्क्वायरी में शामिल हो।
- राशि बकाया हो।
एसएमएस की समस्या: इसके अलावा कुछ समस्याएं प्रमोशनल एसएमएस को लेकर बनी रहेंगी। उन
एसएमएस को लेकर भी जिनका जवाब देने की सुविधा नहीं मिलती। अक्सर ये एसएमएस
UNKNOWN नंबर के होते है। इन पर अंकुश लगाने के बारे में भी ट्राई को जरूरी
कार्रवाई करनी चाहिए।
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साभार: भास्कर समाचार
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