Thursday, August 17, 2017

नेतागिरी की पढ़ाई: RSS की संस्था प्रबोधिनी के IIDL में राजनीतिक नेतृत्व एवं गवर्नेंस की पढ़ाई शुरू

सड़क से संसद तक पहुंचने की नेतागिरी अब क्लासरूम में पढ़ाई और सिखाई जाएगी। नेतागिरी का यह देश का संभवत: पहला पीजी कोर्स है। इसका नाम पोस्ट ग्रेजुएशन इन पॉलिटिकल लीडरशिप एंड गवर्नेंस है। इस कोर्स
को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी संस्था ने मुंबई से सटे उत्तन में शुरू किया है। नेता बनने के लिए पहले ही बैच में कुल 32 युवाओं ने दाखिला लिया है। इनमें एमबीए से लेकर आईआईटीयन्स तक शामिल हैं। यह कोर्स नौ माह का है, इसकी कुल फीस ढाई लाख रुपए है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। संघ की संस्था रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप (आईआईडीएल) में नेतागिरी के पहले बैच की पढ़ाई बुधवार से शुरू हुई। इसमें महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश के युवा शामिल हैं। पश्चिम बंगाल के अरित्र चट्टोपाध्याय एमबीए हैं। पुणे में मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर काम कर चुके हैं। अरित्र अब नेता बनकर पूर्वोत्तर राज्यों के विकास में योगदान देना चाहते हैं। हैदराबाद के प्रवीन चंद्र पिडीशेट्टी अपने दादा और नाना की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए नेता बनना चाहते हैं। उनके नाना और दादा कभी राजनीति में थे, लेकिन इनके बाद परिवार में कोई राजनीति में सक्रिय नहीं हो सका। इसलिए उन्होंने इस कोर्स में दाखिला लिया है। इसी तरह डॉ. के लक्ष्मण, यूपी के शैलेन्द्र जायसवाल, एमपी के अनुराग पांडेय आदि भी नेतागीरी की पढ़ाई कर रहे हैं। बुधवार को आईआईडीएल में नेतागिरी की पढ़ाई का पहला दिन था। इस दौरान प्रबोधिनी के वाइस प्रेसिडेंट और भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई एचआरडी की बात नहीं करता, जबकि राजनीति में नेतृत्व शास्त्र भी है। यह संस्थान नेता पैदा करने की फैक्ट्री नहीं है, बल्कि राजनीति में अच्छे लोगों को तैयार करने का प्रयास है। वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने राजनीति में मीडिया की सहभागिता और संगीत नाटक अकादमी के चेयरमैन शेखर सेन ने लोकतंत्र की एेतिहासिक पृष्ठभूमि पर विचार व्यक्त किए। 
मुंबई से सटे मीरा-भायंदर के भाजपा विधायक नरेन्द्र मेहता की पत्नी सुमन मेहता इस कोर्स में दाखिला लेने वाली अकेली महिला छात्रा हैं। सुमन मूल रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली हैं। वह उस वक्त सुर्खियों में आईं थीं, जब जन्मदिन पर विधायक पति ने उन्हें तोहफे में साढ़े पांच करोड़ रु. की इम्पोर्टेड लैंबॉर्गिनी कार दी थी। सुमन मेहता कहती हैं कि उनके पति नहीं चाहते थे कि वह यह कोर्स करें। लेकिन, मैं नेतागीरी के लिए नहीं, बल्कि गवर्नेंस की डिग्री के लिए यह कोर्स कर रही हूं। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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