Monday, August 14, 2017

यहां नालियों में नहीं बहता घरों का पानी, सोख्ता गड्ढे से वाटर मैनेजमेंट वाला प्रदेश का पहला गांव बना बसाड़ा

समालखा ब्लॉक का गांव बसाड़ा। पानी प्रबंधन का इससे बेहतर उदाहरण पूरे प्रदेश में कहीं नहीं मिलेगा। हर घर में सोख्ता गड्ढे वाला यह प्रदेश का पहला गांव। जहां बाथरूम और किचन का पानी नालियों के बजाय ढके हुए
गड्ढे में पड़ता हैं। गांव की नालियां सूखी हैं। वाटर मैनेजमेंट के इस मॉडल को देखने वाटर एंड सेनिटेशन मंत्रालय की केंद्रीय टीम के साथ हरियाणा का प्रतिनिधिमंडल 17 अगस्त को यहां दौरा करने रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह विश्व बैंक का कांसेप्ट है, जो महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा कारगर है। मॉडल सिखाने के लिए मई में हरियाणा की टीम को विश्व बैंक महाराष्ट्र और केरल ले गया था। प्रयोग के तौर पर प्रदेश के सीएम ने प्रदेश के सभी जिलों के दो-दो गांव में वाटर मैनेजमेंट के इस प्रोजेक्ट को लागू करने को कहा था। पानीपत जिले का बसाड़ा प्रदेश का पहला गांव है, जहां सभी 235 घरों में सोख्ता गड्ढा बनाया गया है। 
हर घर में सवा तीन फीट चौड़ा और 4 फीट गहरा गड्ढा बनाते हैं। इसके साथ ही एक फीट का छोटा गड्ढा बनाकर पानी पहले यहीं पर लाते हैं। फिर यहां से पानी छनकर सोख्ता गड्ढा में जाता है। इस पर करीब 5 हजार रुपए का खर्च आता है, जो मनरेगा के तहत सरकार कर रही है। एडीसी राजीव मेहता का यह गोद लिया हुआ गांव है। चूंकि एडीसी इस प्रोजेक्ट के मुखिया हैं, इसलिए इस गांव से ही प्रयोग शुरू किया। एडीसी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट उसी गांव में लगाया जा सकता है, जहां की मिट्टी में पानी सोखने की शक्ति हो। इसको ध्यान में रखकर बसाड़ा को चुना है। इससे 2 किलोमीटर दूर सिम्बलगढ़ में भी यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। 

मक्खी-मच्छर बहुत कम: गांव की सबसे बड़ी खासियत, यहां मक्खी-मच्छर नहीं हैं। चूंकि नालियों में पानी नहीं बहता। नालियां साफ हैं। गांव में कूड़ा नहीं है। इसलिए मक्खी और मच्छर भी के बराबर। युवा सरपंच गौरव कुमार ने कहा कि अभी तो शुरुआत है। आगे और बेहतर दिखेगा। 
बसाड़ा में कहीं भी कूड़ा नहीं मिलेगा। यहां डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन होता है। हर घर से रोजाना एक रुपया कूड़ा कलेक्शन के लिए जाता है। एडीसी राजीव मेहता ने दो माह से ही दोनों प्रोजेक्ट लागू कराया है। ग्रामीण हवा सिंह ने बताया कि इस कूड़े को भी दो हिस्सों में बांटकर केंचुआ खाद बनाया जा रहा है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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