Monday, August 14, 2017

हर चौथे दिन एक पुलिसकर्मी रिश्वतखोरी में हो रहा सस्पेंड, आईपीएस से कांस्टेबल तक शामिल, 69 बर्खास्त किए गए

ईमानदारी एवं निष्ठा से ड्यूटी निभाने की शपथ लेकर थानोें में पहंुंचने वाले हमारे खाकी वर्दीधारी आए दिन दागदार हो रहे हैं। उनका ईमान चंद रुपयों की लिए डोल रहा है और ईश्वर को साक्षाी मानकर खाई कसमों को तोड़ रहे हैं। औसतन प्रदेश में हर चौथे दिन एक पुलिसकर्मी रिश्वतखोरी में सस्पेंड हो रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इनमें आईपीएस से लेकर कांस्टेबल तक शामिल हैं। भाजपा सरकार के इन 1000 दिन में करीब 286 पुलिसकर्मी सस्पेंड किए जा चुके हैं। इनमें जांच के बाद 69 पुलिसकर्मी तो डिसमिस किए जा चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा 2016 में 36 पुलिसकर्मियों को नौकरी से निकाला गया है। 2015 में जिन बड़े पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही हुई, इसमें आईपीएस विनोद कौशिक के खिलाफ प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया था। उन्हें भ्रष्टाचार के आरोंप में सस्पेंड किया गया था। इस साल 29 मार्च को डीएसपी देशबंधू को भी भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड किया गया। दोनो सीनियर अधिकारियों के सस्पेंड होने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया था। बीजेपी सरकार आने के बाद पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर बारिकी से नजर रखी गई। जिसका परिणाम यह निकला कि 2015 में जहां 83 पुलिसकर्मियों को रिश्वत के आरोप में सस्पेंड किया गया, वहीं 2016 में 80 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया। 
31 जुलाई 2015 को जब गुड़गांव पुलिस उपायुक्त (ट्रैफिक) आईपीएस विनोद कुमार कौशिक भ्रष्टाचार में निलंबित किए गए तो महकमे में हड़कंप मच गया था। 29 मार्च को डीएसपी देशबंधू भी भ्रष्टाचार में फंसे। 
2014 में जहां 3 पुलिसकर्मी नौकरी से निकाले गए थे तो 2015 में 22, 2016 में 36 पुलिसकर्मी नौकरी से निकाले गए। इस साल भी अब 8 की नौकरी जा चुकी है। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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