Friday, November 11, 2016

एसवाईएल मामले में सुप्रीमकोर्ट का बड़ा फैसला: हरियाणा को मिले पानी

हरियाणा की जीवन रेखा कही जाने वाली एसवाईएल नहर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक बार फिर प्यासी धरती को पानी मिलने की उम्मीद जगी है। 12 साल से राष्ट्रपति संदर्भ के लिए लंबित चल रहे केस में फैसला हरियाणा के हक में आने के बाद अब निगाहें पंजाब पर टिक गई हैं। हालांकि हरियाणा अरसे से पंजाब से कहता रहा है कि हमारा हम हमें दे दो। लेकिन चुनावी मौसम में पंजाब एक बूंद पानी नहीं देने की चार दशक पुरानी जिद छोड़ेगा, इस पर संशय है। दोनों राज्यों में सियासत गर्माने के साथ ही खूनी संघर्ष से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एसवाईएल पर करीब ढाई दशक बाद आए फैसले से जहां नहर का अधूरा निर्माण पूरा करने में मदद मिलेगी, वहीं हरियाणा की पानी की जरूरत भी पूरी हो सकेगी। अगर पंजाब 26 साल से थमे नहर के निर्माण को शुरू कराता है तो राजस्थान की सीमा से सटे दक्षिणी हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और भिवानी की बरसों पुरानी साध पूरी होगी। खाद्यान्न उत्पादन में 8 लाख टन की बढ़ोत्तरी के साथ हर साल कुल एक हजार करोड़ रुपये के राजस्व का इजाफा होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल हरियाणा के हक में फैसला आने का दावा विधानसभा में कई बार कर चुके थे। राज्य के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में करीब एक दर्जन वरिष्ठ वकीलों द्वारा हरियाणा की पुरजोर पैरवी की जा रही थी। विधानसभा के बजट और स्पेशल सत्रों में एसवाईएल पर राजनीतिक दलों के बीच काफी घमासान हुआ। आखिरकार सुप्रीम फैसला भी हरियाणा के हक में आ गया।

एसवाईएल नहर का निर्माण नहीं होने और उसमें पानी नहीं आने के कारण हरियाणा का करीब 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इस नहर के लिए लड़ी जा रही लड़ाई पर ही हरियाणा के अभी तक अधिकृत रूप से 20 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। हालांकि यह राशि कहीं अधिक है। पिछले दिनों मार्च में पंजाब के साथ छिड़ी लड़ाई के दौरान हरियाणा इस हिसाब-किताब से पंजाब को अवगत करा चुका है।
पंजाब ने एसवाईएल नहर पर कब्जा करते हुए मार्च में ही अधिगृहीत जमीनें किसानों को लौटाने का फैसला किया था। हरियाणा के हिस्से में अधिगृहीत जमीनों के लिए पंजाब को 191 करोड़ 75 लाख रुपये मिले थे, जिसे पिछले दिनों पंजाब ने हरियाणा को लौटा दिया था। हरियाणा ने यह चेक वापस पंजाब को भेजते हुए सवाल पूछा था कि यह राशि किस बात की है। पंजाब ने तब इसका कोई जवाब नहीं दिया था।हरियाणा के सिंचाई मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने इस संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को पत्र भेजकर कहा है कि पिछले 35 सालों से हरियाणा हर साल एक हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान ङोल रहा है। यदि फसल उत्पादन बढ़ता तो यह पैसा राज्य के किसानों को मिलता। पंजाब द्वारा नहर में अड़चन पैदा करने की वजह से मुकदमेबाजी पर अभी तक 20 करोड़ रुपये अलग से खर्च हो गए।
  • 12 साल से राष्ट्रपति संदर्भ के लिए लंबित केस पर फैसले से पानी की आस जगी पर हासिल करना चुनौती
  • नहर में पानी आया तो दक्षिणी हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और भिवानी की बरसों पुरानी साध पूरी होगी
  • एसवाईएल का पानी मिलने पर हरियाणा में हर साल बढ़ेगा आठ लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन
  • सालाना एक हजार करोड़ का मिलेगा लाभ, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी पंजाब की नीयत पर संदेह, खूनी संघर्ष की आशंका 
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साभारजागरण समाचार 
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