Sunday, November 13, 2016

रिएक्शन: 4000 रुपए के लिए जनता को कतार में खड़ा किया, पार्टियों को करोड़ों के टैक्स की छूट क्यों?

1000-500 रुपए के नोट बंद करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। अपने ही 4000 रुपए के नोट बदलवाने के लिए मोदी ने आम जनता को बैंकों की लाइन में खड़ा कर दिया, जबकि राजनीतिक दलों को चंदे पर करोड़ों की टैक्स छूट दे रखी है। इस समय देश में करीब 2000 राजनीतिक दल हैं, जिनके पैसों
का कभी भी ब्यौरा नहीं लिया गया। देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना है कि 2003 के बाद से राजनीतिक दल हवाला कारोबार से जुड़ गए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। साफ है कि राजनीतिक दलों ने अपने आपको बचा लिया। मोदी की नजर उन नेताओं, ब्यूरोक्रेट और राजनीतिक दलों के ब्लैकमनी पर नहीं पड़ी, जिनकी हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन, चंदा अन्य स्रोत से होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं लगता। दलों के पास 80 फीसदी पैसा कहां से आता है, किसी को नहीं पता। 
बता दें कि मप्र में राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय, क्षेत्रीय अन्य दल मिलाकर कुल 51 पार्टियां चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड हैं। आयकर अधिनियम की धारा 13-ए में राजनीतिक दलों को टैक्स से छूट मिली हुई है। प्रधानमंत्री को बजट से पहले एसौचेम द्वारा दिए गए एक ज्ञापन में कहा गया था कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले बेनामी चंदे पर भी कर लगाया जाए। इसी साल अगस्त में मोदी सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कुरैशी का कहना है की राजनीतिक दल जनता से तो ईमानदारी की उम्मीद करते है और चुनावी चंदे के नाम पर खुद काला पीला करते है। उनके अनुसार कई राजनीतिक दल तो मनी लॉन्ड्रिंग की फैक्ट्री बन गए है। यह चंदा लेते तो करोड़ों में है पर इसको 'पेटी केश डिपोसिट' के नाम पर दिखाते है। 
तीन लोकसभा, 71 विधानसभा चुनाव में मिला 2100 करोड़ का नकद चंदा: चुनाव सुधारों पर काम करने वाली संस्था एडीआर (एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म) के अनुसार 2004 से 2015 के बीच हुए विभिन्न राज्यों में कुल 71 विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को कुल 2100 करोड़ का नकद चंदा मिला। पिछले लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग को 300 करोड़ बिना सोर्स का नकद मिला था। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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