साभार: जागरण समाचार
निर्णायक मोड़ पर पहुंची चौटाला परिवार की आंतरिक कलह के बीच इनेलो किसी भी समय दो फाड़ हो सकता है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला द्वारा पौत्र सांसद दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला के पार्टी से निष्कासन के
बाद दोनों भाई जिस तरह रणनीति को सिरे चढ़ाने में लगे हैं, उससे नई पार्टी के गठन के पूरे आसार हैं। ऐसी स्थिति में इनेलो के चुनाव चिह्न् और पार्टी कार्यालय पर कब्जे को लेकर घमासान मचना तय है।
दुष्यंत-दिग्विजय की अगली रणनीति का सारा दारोमदार सोमवार को जेल से पेरोल पर बाहर आ रहे अजय चौटाला पर टिका है। रणनीतिकार मानकर चल रहे कि दुष्यंत-दिग्विजय अपने निष्कासन को कोर्ट में चुनौती भी दे सकते हैं। अनुशासन समिति ने उन्हें अनुशासनहीनता और हुड़दंग का दोषी ठहराते हुए न कोई सबूत सौंपे और न उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया। कानूनी दांव-पेंचों में यह उनके लिए सहायक हो सकता है। दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला जन नायक सेवा दल के मंच से जनता के बीच भी सक्रिय होंगे। अगर पर्याप्त संख्या में पदाधिकारी साथ आए तो दुष्यंत अपने गुट के मुख्य पार्टी होने का दावा करते हुए मौजूदा पार्टी चिन्ह मांग सकते हैं। चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय जिस फ्लैट में चल रहा है, वह विधायक नैना चौटाला के नाम है। इसकी संभावना नहीं है कि नैना दफ्तर पर अपना दावा छोड़ें।
ऐसे में इनेलो को अपना दफ्तर दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो विपक्ष के नेता के लिए आवंटित आवास चंडीगढ़ के सेक्टर 19 में पार्टी दफ्तर शिफ्ट किया जा सकता है। अभय चौटाला के चंडीगढ़ में ही सेक्टर नौ स्थित आवास से पार्टी की समस्त गतिविधियां चलेंगी। इस बीच, अभय चौटाला ने संगठन को बिखरने से बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के रणनीतिकारों की ड्यूटी ऐसे पदाधिकारियों को साधने में लगाई गई है जो दोनों पक्षों के प्रति नरम रुख रखे हुए हैं।