Friday, November 16, 2018

चंद्रबाबू नायडू की आंध्र सरकार ने CBI को जांच से रोका, केंद्र से बढ़ सकती है और तल्खी

साभार: जागरण समाचार 
सीबीआइ अब आंध्र प्रदेश के किसी भी मामले में दखलअंदाजी नहीं कर सकेगी। यहां तक की आंध्र प्रदेश में घुसने के लिए सीबीआइ को राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी। दरअसल, आंध्र प्रदेश सरकार ने दिल्ली
विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के सदस्यों को कानून और व्यवस्था कायम रखने के लिए दी गई आम सहमति वापस ले ली है। इस सहमति के वापस लेने से सीबीआइ अब आंध्र प्रदेश के किसी भी मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
चंद्रबाबू नायडू की आंध्र सरकार ने CBI को जांच से रोका, केंद्र से बढ़ सकती है और तल्खीआंध्र प्रदेश में घुसने के लिए CBI को लेनी होगी अनुमति
आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से लिए गए इस निर्णय ने एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकार को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबाआइ) के अधिकारियों को आधिकारिक काम के लिए राज्य में प्रवेश करने से पहले पूर्व अनुमति लेनी होगी।
राज्य सरकार ने जांच एजेंसी के अधिकारियों को पहली बार सूचित किए बिना सर्च (खोज) और संचालन (ऑपरेशन) करने के लिए सहमति वापस लेने की अधिसूचना जारी की है। इस हफ्ते राज्य सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य द्वारा दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान को दी गई सहमति को वापस ले लिया गया है। बता दें कि सीबीआइ की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1941 में स्‍थापित विशेष पुलिस प्रतिष्‍ठान से हुई है।
CBI की जांच पर भरोसा नहीं : राज्य सरकार 
बता दें कि इस अनुमति के खत्म हो जाने से सीबीआइ राज्य के किसी भी मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। राज्य सरकार ने हालिया घोटालों में सीबीआइ अधिकारियों के नाम सामने आने पर भारी असंतोष जताया है। राज्य  सरकार का कहना है कि अनसुलझे मामलों में अतिरिक्त जांच के लिए राज्य सरकार केंद्रीय संस्थान के संसाधनों पर भरोसा नहीं करेगी। 
सीबीआई का इनकार: वहीं, सीबीआई ने इस तरह की किसी भी जानकारी होने से इनकार किया है। सीबीआई प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से बताया कि हमें आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से किसी भी तरह का नोटिफिकेशन नहीं मिला है। अगर हमें ये प्राप्त होता है तो हम इस पर विचार करेंगे और कदम उठाएंगे।इस फैसले पर टीडीपी नेता लंका दिनाकर ने कहा, 'पिछले छह महीनों से सीबीआइ के अंदर घटित होने वाली घटनाओं के चलते यह निर्णय लिया गया है। केंद्र सरकार की दखलअंदाजी के कारण सीबीआइ अपनी भागीदारी खो बैठी है। केंद्र सीबीआइ का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कर रही है।'
केंद्र से बढ़ सकती है तनातनी: इस निर्णय के साथ, सीबीआइ आंध्र प्रदेश में अब और छापे नहीं मार सकती है और इसके कार्यों को अब राज्य की सीमाओं के भीतर आंध्र प्रदेश के भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो (एसीबी) द्वारा किया जाएगा। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये एसीबी को पर्याप्त शक्तियां प्रदान करता है और किसी भी संदेह की स्थिति में ACB राज्य में स्थित केंद्र सरकार के विभागों और संस्थानों पर भी छापा मार सकता है। ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनातनी भी बढ़ सकती है।
फैसले को मिला कांग्रेस-ममता का समर्थन: नायडू के इस फैसले का कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समर्थन किया है। ममता बनर्जी ने नायडू के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि सीबीआइ भाजपा के इशारे पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, 'चंद्रबाबू नायडू ने जो किया वो सही है। सीबीआइ को भाजपा से दिशा-निर्देश मिल रहे हैं।'
गौरतलब है कि चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी ने इस साल की शुरुआत में एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया था। जिसके बाद से चंद्रबाबू नायडू कई मौकों पर केंद्र व भाजपा पर हमला करते नजर आए हैं। दरअसल, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर टीडीपी एनडीए से अलग हुई है। अब नायडू 2019 के आम चुनावों से पहले विपक्षी दलों को संगठित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने हाल के महीनों में भाजपा और वाईएसआर कांग्रेस पर राज्य सरकार को अस्थिर करने की योजना बनाने का भी आरोप लगाया था।