साभार: जागरण समाचार
2011 में केंद्र सरकार ने साक्षर भारत का नारा देकर साक्षर भारत मिशन की शुरूआत की थी। गांवों में दो-दो प्रेरकों के माध्यम से अभियान शुरू हुआ। मिशन भारत को सौ फीसद साक्षर करना था। लेकिन मौजूदा सरकार
ने इस अभियान को नया नाम देने के चक्कर में साक्षर भारत मिशन को बीच में ही बंद कर दिया है।
नया अभियान भी शुरू नहीं हो पाया है और साक्षर भारत मिशन के दस्तावेजों को समेट कर इनके कार्यालयों पर ताला लटका दिया गया है। जिले में 76 फीसद साक्षर दर के साथ ये साक्षर भारत मिशन अभियान बंद हो गया है। इसके साथ जुड़े प्रेरकों को पहले से ही हटा दिया गया और अब एक नवंबर से मिशन कोऑर्डिनेटर को भी रीलिव कर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस पर पढ़ना-लिखना अभियान की शुरूआत होनी थी। लेकिन कैबिनेट से मंजूरी न मिलने के कारण अभियान धरातल पर शुरू नहीं हो पाया।
जिले के 71 हजार लोगों ने सीखी बेसिक लिटरेसी: में जब साक्षर भारत मिशन की शुरुआत हुई थी उस समय जिला की साक्षरता दर 67 फीसद थी। जिसमें महिला साक्षरता दर 51 तथा पुरूष साक्षरता दर 69 थी। अब जब यह मिशन बंद हुआ है तो महिला साक्षरता दर 58 तथा पुरूष साक्षरता दर 76 है। इन सात सालों में 71 हजार लोग साक्षर हुए हैं। मिशन बुनियादी साक्षरता दर को बढ़ावा देना था लेकिन यह बेसिक लिटरेसी के साथ ही बंद हो गया है। बुनियादी यानि की कक्षा तीसरी, पांचवीं तथा आठवीं तक ज्ञान देना था।
पहले प्रेरक हटाए, फिर ब्लॉक कोऑर्डिनेटर: साक्षर भारत मिशन को बंद करने की हलचल दो साल पहले ही शुरू हो गई थी। इस अभियान के साथ जुड़े जिले के प्रेरकों को हटा दिया गया था। इसके बाद स्कूलों के सहारे एक साल तक इस अभियान को बढ़ाया गया। लेकिन अब 31 मार्च 2018 को इस अभियान को यह कहकर बंद कर दिया गया कि पढ़ना-लिखना अभियान के साथ शुरुआत की जाएगी। लेकिन 8 सितंबर को इसकी शुरुआत नहीं हुई और अब मिशन कोऑर्डिनेटर को भी एक नवंबर से रीलिव कर दिया गया है।
- साक्षर भारत मिशन को बंद कर दिया गया है, पढ़ना-लिखना अभियान को मंजूरी नहीं मिली है। इसके चलते मिशन कोऑर्डिनेटर को भी वापस शिक्षा विभाग में भेज दिया गया है। प्रेरकों व खंड कोऑर्डिनेटरों को पहले ही हटा दिया गया था। - सुरेंद्र वर्मा, मिशन कोऑर्डिनेटर, साक्षर भारत मिशन फतेहाबाद