साभार: जागरण समाचार
इंडियन नेशनल लोकदल के महासचिव अजय चौटाला ने पैरोल पर बाहर आने के बाद अपने छोटे भाई
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला पर तो हमला बोला ही, इनेलो सुप्रीमो अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला को भी नहीं छोड़ा। गुस्से से भरे अजय ने कहा कि उनके जेल में रहते हुए उनके पुत्रों को पार्टी से निष्कासित करने से वह आहत हैं। अजय ने कहा कि इनेलो किसी की बपौती नहीं है। मेरे बाप की भी नहीं। इनेलो इन लोगों (अपने सामने खड़े पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर इशारा करते हुए) का है। जब तक इन कार्यकर्ताओं का इनेलो रहेगा, तभी तक उसका अस्तित्व है।
उन्होंने अभय के उस बयान पर तीखा तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, वे कांग्रेसी हैं। अजय ने इनेलो से त्यागपत्र देकर दुष्यंत के समर्थन में आए नेताओं के नाम गिनाते हुए कहा कि ये 30-40 साल से उनके साथी रहे हैं और इनेलो को मजबूत करने का काम किया है। इन्हें यदि कोई कांग्रेसी कहता है तो यह सोच उसे ही मुबारक हो।
अजय अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के साथ तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। कुछ दिन पहले ओमप्रकाश चौटाला पैरोल पर बाहर आए थे तो उन्होंने अजय के बेटों सांसद दुष्यंत और इनसो अध्यक्ष दिग्विजय को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। सोमवार को 14 दिन के पैरोल अजय बाहर आए। दुष्यंत-दिग्विजय और अजय के समर्थक उनके बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
तिहाड़ से निकलकर सीधे पितामह देवीलाल की समाधि पर पहुंचे अजय: अजय सिंह चौटाला सुबह 10.45 बजे तिहाड़ जेल से 14 दिन की पैरोल पर बाहर आए। बाहर आते ही कुछ खास समर्थकों ने उनका स्वागत किया। गाड़ी चला रहे उनके सांसद पुत्र दुष्यंत चौटाला के साथ वह अगली सीट पर बैठ गए और पिछली सीट पर उनके मित्र संजय चौपड़ा, रेवाड़ी के नेता रेलूराम जोगी, सतीश यादव व सोनीपत के पदम दहिया बैठे। अजय की गाड़ी तिहाड़ के मुख्य द्वार से राजघाट के नजदीक बनी ताऊ देवीलाल की समाधि संघर्ष स्थल पर रुकी। यहां अजय ने ताऊ देवीलाल को श्रद्धांजलि दी और इसके बाद वे 11.45 बजे दुष्यंत के सरकारी निवास 18 जनपथ पर पहुंचे। इस दौरान गाड़ी की पिछली सीट पर फरीदाबाद के बलदेव अलावलपुर भी समायोजित हो गए। यहां करीब आधे घंटे की नारेबाजी और समर्थकों के स्वागत के बाद अजय ने एक कुर्सी पर खड़े होकर सबको संबोधित किया।’