Saturday, November 3, 2018

राहुल का दावा, राफेल पर लेन-देन के सुबूत मिले

Click here to enlarge imageसाभार: जागरण समाचार 
राफेल जेट सौदे में पीएम नरेंद्र मोदी को लगातार घेर रहे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को लेन-देन का
पहला सुबूत मिलने का दावा किया। उन्होंने कहा कि सौदे में रिश्वत की पहली किश्त के रूप में दासौ कंपनी ने अनिल अंबानी को 284 करोड़ रुपये दिए हैं। राहुल ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि राफेल में हुई गड़बडी ‘ओपन एंड शट’ केस है जिसकी जांच हुई तो प्रधानमंत्री बच नहीं पाएंगे।
राफेल सौदे को अपनी सियासी लड़ाई बना चुके राहुल गांधी ने एक मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाकर शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि दासौ के सीईओ ने प्रधानमंत्री मोदी को बचाने के लिए झूठ बोला है कि अनिल अंबानी की कंपनी के साथ ऑफसेट कांट्रेक्ट इसलिए किया गया कि उनके पास जमीन थी। जबकि असलियत में दासौ ने रिश्वत की पहली किश्त के रूप में अनिल अंबानी की 8.30 लाख रुपये की कंपनी को 284 करोड़ रुपये दिए और इसी पैसे से अंबानी ने जमीनी खरीदी। इसलिए सवाल यह है कि एक घाटे की कंपनी में दासौ ने इतने पैसे क्यों लगाए और इसका तर्क क्या है? राहुल ने जवाब भी खुद ही दिया। उन्होंने कहा कि इसे रिश्वत कहते हैं जो दासौ ने अनिल अंबानी को दी है। दासौ के सीईओ झूठ बोलकर केवल एक आदमी को बचा रहे हैं और वह हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह दावा भी किया कि सामने आ रहे सौदे से जुड़े दस्तावेजों में इतने तथ्य हैं कि प्रधानमंत्री का बच पाना मुश्किल है।
जेपीसी पर राजी नहीं होगी सरकार: संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) पर तमाम विपक्षी दलों के साथ आने की संभावनाओं के सवाल पर राहुल ने कहा कि जेपीसी का गठन होता है तो बेशक विपक्ष खुश होगा। मगर जेपीसी पर मैंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से बात की और उनका इस पर कोई जवाब नहीं आया। जेपीसी के लिए सरकार राजी नहीं होगी। इसीलिए उनकी दूसरी लाइन होगी कि इस सौदे की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
पीएम को नहीं आ रही नींद: राहुल ने कहा कि सीबीआइ प्रमुख को इसीलिए हटाया गया क्योंकि वह जांच शुरू करना चाहते थे और प्रधानमंत्री इससे भयभीत हैं। प्रधानमंत्री को रात में नींद नहीं आ रही है और वह टेंशन में हैं। अगर जांच हुई तो 30,000 करोड़ रुपये अनिल अंबानी को देने के भ्रष्टाचार का सच सबको पता चल जाएगा। राहुल ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री इसमें शामिल नहीं हैं तो वह सीधे कह देते कि मैं देश का चौकीदार हूं और सीबीआइ हो या सुप्रीम कोर्ट जिससे चाहे जांच कराओ, मगर वह चुप हैं।
कीमत गोपनीयता शर्त का हिस्सा नहीं: कांग्रेस अध्यक्ष ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ अपनी वार्ता का फिर हवाला दिया और कहा कि राफेल की कीमत गोपनीय समझौते का हिस्सा नहीं है। उनके अनुसार, तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर को मालूम हो गया था कि सौदे में गड़बड़ी हुई है, इसलिए उन्होंने खुद को बचाने के लिए साफ कर दिया था कि यह फैसला उनका नहीं बल्कि प्रधानमंत्री का है। गोपनीयता समझौते के सरकार के दावों पर यह कहते हुए भी उन्होंने सवाल उठाया कि दासौ कंपनी जब अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कीमत का खुलासा कर सकती है तो भारत की जनता को उसके पैसे से खरीदे गए जहाज की कीमत क्यों नहीं बताई जा सकती?