साभार: जागरण समाचार
प्रमुख विपक्षी दल इनेलो में चल रहे ‘राजनीतिक संग्राम’ में चल रही जंग में दुष्यंत और दिग्विजय के निष्कासन
के बाद रोमांचक मोड़ आ गया है। अजय चौटाला के बाहर आते ही दुष्यंत समर्थकों को ताकत मिलेगी। दुष्यंत और दिग्विजय की मां विधायक नैना चौटाला पहले से ही बेटों के भविष्य के लिए मैदान में उतर चुकी हैं। ‘हरी चुनरी चौपाल’ के जरिये नैना जहां घरेलू महिलाओं को लामबंद कर रहीं हैं, वहीं दुष्यंत और दिग्विजय भी मैदान में जुटे हुए हैं।
इनेलो में राजनीतिक वर्चस्व की जंग में नैना चौटाला ‘स्टार प्रचारक’ के रूप में उभरकर सामने आई हैं। इसका फायदा इनेलो को कम और दुष्यंत व दिग्विजय को अधिक मिल रहा है। प्रदेश में महिलाओं के नाम पर राजनीति तो होती रही, लेकिन उन्हें आगे आने का मौका कम ही मिला। आमतौर पर पुरुष प्रधान राजनीति हावी रही है। विपरित हालात और पति की गैर-मौजूदगी में नैना ने राजनीति में कदम रखा, लेकिन अब वे खुलकर मोर्चा संभाले हुए हैं।
‘हरी चुनरी चौपाल’ के माध्यम से महिलाओं का भरोसा जीत रही नैना चौटाला के निशाने पर उनके देवर और विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला पूरी तरह से हैं। ससुर और इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला को पूरा सम्मान देने के साथ वह बता रही हैं कि दुष्यंत और दिग्विजय को नोटिस उनके परिवार के खिलाफ राजनीतिक साजिश है। यह भी चर्चा है कि नैना चौटाला के उग्र तेवरों के पीछे कहीं न कहीं उनके पति अजय सिंह चौटाला की मूक सहमति है। 5 नवंबर को अजय चौटाला तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते हैं। ऐसे में चौटाला परिवार में चल रहे राजनीतिक कलेश में आर-पार का फैसला हो सकता है। राजनीति के जानकारों का भी मानना है कि चौटाला परिवार में यह लड़ाई किसी मुद्दे या वैचारिक मतभेद को लेकर नहीं बल्कि सत्ता की शीर्ष कुर्सी को लेकर घमासान मचा हुआ है।
दोनों भाइयों के निष्कासन के बाद अगली रणनीति बनाने में जुटे समर्थक
अजय चौटाला के बाहर आते ही दुष्यंत समर्थकों को मिलेगी ताकत
राजनीतिक दलों का महिला राजनीति पर फोकस: हरियाणा के इतिहास में ‘हरी चुनरी चौपाल’ एकदम नया कार्यक्रम है। महिलाओं के नाम पर सम्मेलन तो अधिकतर राजनीतिक दल करते रहे हैं, लेकिन इनमें भी पुरुषों की भूमिका देखने को मिलती रही है। जिस तरह से नैना की चौपाल में हरे रंग की चुनरी ओढ़कर महिलाएं पहुंच रही हैं, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ सकती है। दस वर्षो तक सत्ता में रह चुकी कांग्रेस की महिला इकाई भी इन दिनों राजनीति में महिलाओं को आरक्षण दिए जाने के लिए लड़ाई लड़ रही है।