Wednesday, November 14, 2018

1984 का सिख दंगों का मामला: 34 साल बाद कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, दो लोग दोषी करार

साभार: जागरण समाचार 
1984 में दिल्ली में हुए सिख दंगा मामलों में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को दो आरोपियों को दोषी ठहराया है। 34 साल बाद बृहस्पतिवार को कोर्ट दोनों को इस मामले में सजा सुनाएगी। जानकारी के
मुताबिक, बुधवार को कोर्ट ने दो सिखों की हत्या के मामले में यशपाल सिंह और नरेश सहरावत को दोषी करार दिया। इन हत्या के साथ-साथ दंगा करने और हत्या की कोशिश का मामला भी चल रहा था। बता दें कि दक्षिणी दिल्ली के महिपालपुर क्षेत्र में 1984 में दो सिखों की हत्या की गई थी, जिसमें बुधवार को कोर्ट ने यशपाल सिंह और नरेश सहरावत को दोषी करार दिया था।  
यहां पर बता दें कि एक दिन पहले ही मंगलवार को दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी के नेतृत्व में भाजपा व सिख नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति भवन पहुंचा था और 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की मांग की थी। प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बताया था कि मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा आठ महीने विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया गया था, लेकिन इसके तीसरे सदस्य की नियुक्ति अब तक नहीं होने से जांच नहीं हो पा रही है। एसआइटी के तीसरे सदस्य की नियुक्ति शीघ्र की जाए।
मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि 34 वर्षों से दंगा पीडि़त परिवार इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं। पुलिस व अन्य जांच एजेंसियों के उपेक्षापूर्ण रवैये से दंगे के दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। सिख विरोधी दंगे से संबंधित मामले की जांच के लिए इस वर्ष जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने एसआइटी का गठन किया था, जिससे पीड़‍ितों में इंसाफ की उम्मीद जगी थी। एसआइटी में तीन सदस्य होने चाहिए लेकिन एक पद अभी भी रिक्त है। एसआइटी को दो महीने में जांच रिपोर्ट देनी थी। इसके पास 186 मामले भी पहुंचे हैं, लेकिन एक पद रिक्त होने से जांच आगे नहीं बढ़ रही है।
उन्होंने कहा था कि सिख विरोधी दंगे के कई गवाहों की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए यह जरूरी है कि जांच में तेजी लाई जाए। राष्ट्रपति को तीसरे सदस्य की नियुक्ति का आदेश देना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व थलसेना अध्यक्ष जेजे सिंह, सिख फोरम के सदस्य व भाजपा नेता आरपी सिंह, अधिवक्ता गुरचरण सिंह गिल व रुपिंदर सिंह शामिल थे।
बता दें कि सिख दंगा साल 1984 में हुआ था। इस दंगे का कारण तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्‍या थी। इनकी हत्‍या उन्‍हीं के अंगरक्षक ने की थी जो सिख था। इसके बाद दंगा भड़क गया था। इस दंगे से देश बुरी तरह प्रभावित हुआ था। करीब 3000 लोगों से ज्‍यादा मौत हो चुकी थी। इसमें से सिर्फ 2000 लोग दिल्‍ली में मारे गए थे।