Wednesday, August 23, 2017

Life Management: आप मुस्करा रहे हैं, क्योंकि किसी ने प्रार्थना की थी

एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)

पिछले गुरुवार को प्रियम मेहता अहमदाबाद के एमजी रोड पर अपनी कार में सिग्नल पर इंतजार कर रहे थे। एक विचार उनके दिमाग में आया कि इस बार गणेश चतुर्थी पर पालदी के सिद्धी विनायक मंदिर जाना चाहिए। अहमदाबाद का यह मंदिर अपने शांत और सुंदर वातावरण के लिए जाना जाता है। मुंबई के मंदिर की तरह यह भारी शोरशराबे वाले माहौल में स्थित नहीं है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उनके इस विचार को रोका रेडियो जॉकी अर्चना जैन की आवाज ने। वे 94.3 एफएम चैनल पर रेडिया प्रोग्राम 'सलाम अहमदाबाद' एंकर करती हैं। कहानी सुनाने की अपनी तकनीक के कारण अर्चना पूरे भारत में लोकप्रिय हैं। उनकी सिग्नल स्टोरी शुरू हुई थी। मैं इसे सिग्नल स्टोरी ही कहता हूं, क्योंकि यह एक मिनट से भी कम समय में पूरी हो जाती हैं। कहानी कुछ यूं थी- 
देव गणेश मंदिर में अबाधित दर्शन कर अपनी कार में आकर बैठे ही थे। वे कार के शीशे चढ़ाते इसके पहले ही एक लड़के की अावाज उनके कानों में पड़ी। 'साहब साहब ये माला ले लो। सिर्फ 10 रुपए की है। अगर भगवान को अर्पित करेंगे तो वे खुश होंगे।' देव ने मुस्कुराकर जवाब दिया, 'मुझे माला नहींं चाहिए, मैं अभी दर्शन करके लौटा हूं।' उन्होंने अपना पर्स जेब से निकाला। उसमें से 10 रुपए निकाले और लड़के को देते हुए कहा कि ये तुम रख लो। एक मुस्कान के साथ उन्होंने अपनी कार आगे बढ़ा दी। कार का शीशा अभी भी आधा खुला था। 
वे कुछ मीटर ही चले होंगे कि फिर उसी लड़के की आवाज पीछे से आई, 'साहब-साहब अगर आपने पैसे दिए हैं तो आपको माला भी लेनी चाहिए। इस बार इसे घर पर जो भगवान हैं, उनके लिए ले लीजिए।' फायरब्रांड और आग्रही पर ईमानदार लड़के की सराहना के भाव से उन्होंने कहा, 'मैंने यह पैसे तुम्हें अपनी इच्छा से दिए हैं। अब तुम यह पैसे इस तरह नहीं लेना चाहते तो एक काम करो आज तुम मंदिर जाना और माला भगवान को अर्पित करना और प्रार्थना करना।' इसके बाद वे तेजी से आगे बढ़ गए। उन्होंने लड़के के जवाब का इंंतजार भी नहीं किया, लेकिन इस बार भी शीशा पूरा बंद करना भूल गए। एक मीटर भी वे आगे नहीं बढ़े थे कि लड़के की आवाज फिर आई, 'साहब-साहब।' इस बार देव कुछ नाराज हो गए। वे अपने ऑफिस की मीटिंग के लिए लेट हो रहे थे। अपनी अावाज में थोड़ी-सी तल्खी लाकर कहा, 'अब क्या हैalt147 लड़के ने कहा, 'साहब प्लीज मुझे अपना नाम बताइए। मैं माला अर्पित करने जाऊंगा। मैं बताऊंगा कि किसने यह माला भेजी है। अगर उन्हें आशीर्वाद देना होगा तो किसे देंगे?' 
क्षण भर में देव का ईगो, गुस्सा, चिढ़ और सब कुछ शांत हो गया। वे चुपचाप अपनी कार से उतरे। उनकी आंखे नम हो गई थीं। उन्होंने उसे गले लगा लिया और कहा, 'बेटा नाम तो इंसानों ने दिए हैं। ईश्वर के लिए तो हम सभी एक हैं और उसने ही हमें बनाया है, इसलिए जाओ और उसे कहो कि सभी को आशीर्वाद दें, खुशी का।' यह कहकर उन्होंने अपना चेहरा मोड़ लिया और आंखें पोछी ताकि लड़का देख ले। 
सुनने में तल्लीन मेहता को अचानक पीछे से हॉर्न की आवाज आई। मेहता ने इंजन स्टार्ट किया लेकिन इस प्रक्रिया में वे ग्रीन लाइट चूक गए और साथ ही कहानी का अंत भी। उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि अर्चना से पूछूं कि उसने कहानी खत्म कैसे की। और मैंने ऐसा ही किया। अगर आप आज 'सारूंछे' हैं तो यह किसी की प्रार्थना का असर है, क्या यह अच्छा नहीं है। अर्चना ने पूछा था। 
फंडा यह है कि अगरआप आज मुस्कुरा रहे हैं तो कि यह किसी की प्रार्थना का असर है, जिसने पूरी मानवता की खुशी मांगी थी। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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