एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
अच्छी तरह बना टमरिंड राइस मेरे हाथ में था और हम आगे बढ़े। 'साष्टांग नमस्कारम्' के बदले में जब मैंने मुख्य मंदिर के स्तंभ पर अपना माथा टिका ही रहा था कि स्कूल ड्रॉपआउट रहे मेरे अनुभवी अंकल ने कहा,'स्तंभ से तुम्हें टमरिंड राइस की गंध आएगी, क्योंकि तुमसे पहले आए जिस भी तीर्थयात्री को प्रसाद के रूप में यह राइस मिला है उसने अपने हाथ इसी स्तंभ से पोंछे हैं।' उन्होंने मेरा प्रसाद अपने हाथ में लेकर मुझे उचित ढंग से नमस्कारम् करने को कहा। फिर उन्होंने प्रसाद वितरण पर अपनी रिसर्च जारी रखते हुए कहा, 'जैसे-जैसे सूरज की गर्मी बढ़ती जाती है, टमरिंड राइस का प्रसाद कर्ड राइस में बदलते जाता है। इसके कारण तीर्थयात्रियों को प्यास बुझाने नल के पास जाना पड़ता है और वे फिर हाथ भी धो लेते हैं!'
'मेरे बचपन के दिनों में 1970-90 के बीच जब हमारा परिवार दो दिन की रेलयात्रा करता था तो टमरिंड और कर्ड राइस का यह काम्बो सबसे ठोस भोजन होता था। उसके बाद तो हमारे परिवार ने देखा कि हवाई जहाज भी परिवहन का साधन है। तब तक मेरे परिवार के अर्थशास्त्र ने मुझे यकीन दिला दिया था कि हवाई जहाज वह पंछी है, जो टाटा-बिड़ला जैसे चंद भारतीय धनी लोगों के पास ही होता है। जब हम हाथों में प्रसाद लेकर मंदिर से बाहर आए तो दो स्वादिष्ट डिश मुझे आमंत्रित कर रही थीं। मुझे उनका स्वाद लेने की जल्दी थी लेकिन, मेरे अंकल ने मुझे रोका और मुझे लड्डू की कतार में खड़ा कर दिया, जिसमें 20 मिनट लगे। फिर हम मंदिर सरोवर के किनारे बैठ गए और प्रसाद ग्रहण किया, जो मेरे लिए दिव्य व्यंजन की तरह था। मैं उन टमरिंड राइस का कण-कण खा गया और उसके बाद एकदम परफेक्ट स्वाद में बने कर्ड राइस का लुत्फ लिया, जो इतनी कड़ी धूप में भी खट्टा नहीं हुआ था।
सब हो जाने के बाद अंकल ने कहा, 'तुम जानते हो कि मैंने तुम्हें प्रसाद ग्रहण करने से आधा घंटा क्यों रोका?' मेरे इनकार करने पर उन्होंने कहा, 'कर्ड राइस उस वक्त दूध वाला ही था और तब तक दही ठीक से जमा नहीं था। मुझे गंध लेते ही यह समझ में गया और मैंने ईश्वर को धन्यवाद दिया। इसलिए मैंने तुम्हें लड्डू वाली कतार में खड़ा कर दिया ताकि धूप से कर्ड राइस में मौजूद दही ठीक से जम जाए और बाद में उसका आस्वाद लिया जा सके।'
फंडा यह है कि मैनेजमेंट का हुनर सिर्फ प्रबंधन संस्थानों का विषय नहीं है बल्कि यह प्रतिदिन इस्तेमाल में लाने वाला कौशल है। इसे किसी स्कूल ड्रॉपआउट से भी सीखा जा सकता है।
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यह पिछले हफ्ते हुआ जब मैं अपनी वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए तिरुपति में था। दर्शन के लिए मेरे साथ आए मेरे अंकल और मैं जैसे ही सर्पाकार कतार में खड़े होकर भगवान बालाजी के गर्भगृह से बाहर आए, सामने
अगली कतार किसी स्वादिष्ट प्रसाद के लिए लगी थी। तत्काल मेरे अनुभवी अंकल ने निगाहों से हवाई सर्वेक्षण कर यह देखा कि किस कतार में क्या दिया जा रहा है और मुझे एक खास कतार में खड़ा होने को कहा अौर खुद एक अलग कतार में खड़े हो गए। जब हम हमारी अपनी-अपनी कतारों में से अपना-अपना प्रसाद लेकर बाहर गए तो मुझे उनकी चतुराई समझ में आई, क्योंकि उनके हाथ में कर्ड राइस (दही वाले चावल) था तो मेरे पास टमरिंड राइस (इमली वाले चावल) था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मेरे अंकल प्रसाद का 'काम्बो' लेने की अपनी होशियारी पर मुझे देख मुस्कराए, क्योंकि एक ही परिवार के ज्यादातर तीर्थयात्री एक ही कतार में एक के पीछे एक खड़े हो गए और उन्हें सिर्फ टमरिंड राइस मिला। अंकल की ट्रिक बार-बार तिरुपति आकर माहिर हो चुके कुछ तीर्थयात्रियों को ही मालूम थी। जिन्हें तिरुपति के प्रसाद की गुणवत्ता के बारे में नहीं पता है, उन्हें बता दूं कि तात्कालिक रूप से लगी भूख को तुरंत शांत करना बहुत बड़ी बात है। कुछ लोगों ने जब हमारा दो तरह का प्रसाद देखा तो उन्हें खेद हुआ कि वे उस लंबी कतार में क्यों नहीं खड़े हुए, जिसमें कुछ मिनट पहले ही कर्ड राइस का वितरण शुरू हुआ था। अच्छी तरह बना टमरिंड राइस मेरे हाथ में था और हम आगे बढ़े। 'साष्टांग नमस्कारम्' के बदले में जब मैंने मुख्य मंदिर के स्तंभ पर अपना माथा टिका ही रहा था कि स्कूल ड्रॉपआउट रहे मेरे अनुभवी अंकल ने कहा,'स्तंभ से तुम्हें टमरिंड राइस की गंध आएगी, क्योंकि तुमसे पहले आए जिस भी तीर्थयात्री को प्रसाद के रूप में यह राइस मिला है उसने अपने हाथ इसी स्तंभ से पोंछे हैं।' उन्होंने मेरा प्रसाद अपने हाथ में लेकर मुझे उचित ढंग से नमस्कारम् करने को कहा। फिर उन्होंने प्रसाद वितरण पर अपनी रिसर्च जारी रखते हुए कहा, 'जैसे-जैसे सूरज की गर्मी बढ़ती जाती है, टमरिंड राइस का प्रसाद कर्ड राइस में बदलते जाता है। इसके कारण तीर्थयात्रियों को प्यास बुझाने नल के पास जाना पड़ता है और वे फिर हाथ भी धो लेते हैं!'
'मेरे बचपन के दिनों में 1970-90 के बीच जब हमारा परिवार दो दिन की रेलयात्रा करता था तो टमरिंड और कर्ड राइस का यह काम्बो सबसे ठोस भोजन होता था। उसके बाद तो हमारे परिवार ने देखा कि हवाई जहाज भी परिवहन का साधन है। तब तक मेरे परिवार के अर्थशास्त्र ने मुझे यकीन दिला दिया था कि हवाई जहाज वह पंछी है, जो टाटा-बिड़ला जैसे चंद भारतीय धनी लोगों के पास ही होता है। जब हम हाथों में प्रसाद लेकर मंदिर से बाहर आए तो दो स्वादिष्ट डिश मुझे आमंत्रित कर रही थीं। मुझे उनका स्वाद लेने की जल्दी थी लेकिन, मेरे अंकल ने मुझे रोका और मुझे लड्डू की कतार में खड़ा कर दिया, जिसमें 20 मिनट लगे। फिर हम मंदिर सरोवर के किनारे बैठ गए और प्रसाद ग्रहण किया, जो मेरे लिए दिव्य व्यंजन की तरह था। मैं उन टमरिंड राइस का कण-कण खा गया और उसके बाद एकदम परफेक्ट स्वाद में बने कर्ड राइस का लुत्फ लिया, जो इतनी कड़ी धूप में भी खट्टा नहीं हुआ था।
सब हो जाने के बाद अंकल ने कहा, 'तुम जानते हो कि मैंने तुम्हें प्रसाद ग्रहण करने से आधा घंटा क्यों रोका?' मेरे इनकार करने पर उन्होंने कहा, 'कर्ड राइस उस वक्त दूध वाला ही था और तब तक दही ठीक से जमा नहीं था। मुझे गंध लेते ही यह समझ में गया और मैंने ईश्वर को धन्यवाद दिया। इसलिए मैंने तुम्हें लड्डू वाली कतार में खड़ा कर दिया ताकि धूप से कर्ड राइस में मौजूद दही ठीक से जम जाए और बाद में उसका आस्वाद लिया जा सके।'
फंडा यह है कि मैनेजमेंट का हुनर सिर्फ प्रबंधन संस्थानों का विषय नहीं है बल्कि यह प्रतिदिन इस्तेमाल में लाने वाला कौशल है। इसे किसी स्कूल ड्रॉपआउट से भी सीखा जा सकता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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