Monday, August 7, 2017

जिला केंद्रीय सहकारी बैंक ऋण के 43 हजार करोड़ वसूल नहीं पाए, हरको में होगा विलय

भाजपा सरकार प्रदेश की सभी 19 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) को हरको (अपेक्स) बैंक में मर्ज करवाने की तैयारी में है। बड़ा कारण है कि डीसीसीबी ने किसानों को जो फसली ऋण दिया उसकी वापसी नहीं हो
रही। पिछले सात साल में डीसीसीबी ने किसानों 90,175 करोड़ रुपए का कर्ज दिया है, जबकि वापसी सिर्फ 47,442 करोड़ की हुई। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार को इन बैंकों के विलय का सुझाव नाबार्ड के चेयरमैन ने दिया था। दरअसल, नाबार्ड का मानना है कि अभी हरियाणा में सहकारी बैंकों का थ्री-टियर सिस्टम है। इसमें से अगर एक सिस्टम को कम कर दिया जाए तो प्रशासनिक खर्चों में कमी आने के साथ ही ब्याज दर में करीब आधा प्रतिशत का फायदा होगा। नाबार्ड अपेक्स बैंक को 4.5 प्रतिशत पर फसली ऋण के लिए पैसा देता है। अपेक्स बैंक यह पैसा जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को 5% ब्य़ाज पर देते हैं। जबकि डीसीसीबी प्राथमिक एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटीज (पैक्स) को 5.50 प्रतिशत पर और पैक्स अपने लोनी सदस्य किसानों को 7 प्रतिशत की ब्याज पर लोन देते हैं। नाबार्ड का मानना है कि अगर डीसीसीबी को अपेक्स बैंक में विलय कर दिया जाए तो अपेक्स बैंक को आधा फीसदी ब्याज दर का फायदा होगा। सहकारिता राज्यमंत्री मनीष ग्रोवर का कहना है कि जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को अपेक्स बैंक में मर्ज करने का सुझाव आया है। लेकिन अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। 
  • 48,504 करोड़रुपए खरीफकी फसलों के लिए दिया गया 
  • 25,691करोड़रुपए खरीफके सीजन के बाद किसानों ने लौटाया 
  • 41,671करोड़रुपए रबीकी फसलों के लिए किसानों को दिया गया 
  • 21,751करोड़कीवापसी हो पाई रबी की फसलों में दिए ऋण से 

हरियाणा के सहकारी बैंक हर साल खरीफ और रबी सीजन में 12.36 लाख सदस्य किसानों को करीब 9000 करोड़ रुपए के फसली कर्ज उपलब्ध कराते हैं। इसमें 45 प्रतिशत राशि ही नाबार्ड 4.50 फीसदी ब्याज दर पर रीफाइनेंस करता है। जबकि बाकी पैसा बैंकों को अपने स्तर पर जुटाना होता है। 
एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में 718 प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटीज (पैक्स) हैं। इनमें केवल 99 पैक्स की ही वित्तीय स्थिति कुछ ठीक है। जबकि 664 पैक्स में 31 मार्च, 2016 को 2693.26 करोड़ रुपए का घाटा था। 485.75 करोड़ रुपए की राशि इम्बैलेंस थी। 
  • हरको बैंक वर्ष 2016-17 में 31.96 करोड़ के नेट प्रॉफिट में थी। जबकि सभी 19 डीसीसीबीज 80 करोड़ के घाटे में घाटे वाली संस्थाओं को कोई क्यों लेगा। 
  • डीसीसीबी में स्टाफ की भारी कमी है। स्वीकृत 4588 पदों में से 2906 पद खाली हैं। केवल 1407 पद ही भरे हुए हैं। ऐसे में नई भर्तियां शुरू करनी पडें़गी। 
  • प्रत्येक डीसीसीबी को रिजर्व बैंक से बैंकिंग का अलग लाइसेंस मिला हुआ है। सभी का स्वतंत्र बोर्ड विलय में डीसीसीबी लाइसेंस सरेंडर करना पड़ेगा। 
  • विलय की स्थिति में डीसीसीबी और अपेक्स बैंक के स्टाफ में पद और सीनियॉरिटी का झगड़ा पड़ेगा। ऐसे में अनावश्यक लिटिगेशन बढ़ेगा। 
  • अगर, डीसीसीबी का अपेक्स बैंक में विलय होता है तो अपेक्स बैंक को अपने क्षेत्रीय कार्यालय भी खोलने पड़ेंगे।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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