Friday, August 11, 2017

विवादित बयान: 10 साल तक उपराष्ट्रपति रहे अंसारी विदाई के दिन बोले; देश के मुस्लिमों में बेचैनी असुरक्षा की भावना

10 साल तक उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी का कार्यकाल गुरुवार को पूरा हो गया। शुक्रवार को एम. वेंकैया नायडू नए उपराष्ट्रपति की शपथ लेंगे। 80 साल के अंसारी ने अंतिम कार्यदिवस पर अल्पसंख्यकों का मुद्दा
उठाते हुए सरकार पर निशाना साधा। कहा, देश के मुस्लिमों में बेचैनी असुरक्षा की भावना घर कर रही है। लोकतंत्र की पहचान इसी बात से होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा मिली हुई है।' यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके बाद इन टिप्पणियों के अलग-अलग मायने निकाले जाने लगे। भाजपा के शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मुस्लिमों के लिए पूरी दुनिया में भारत से अच्छा कोई देश नहीं है और ही हिंदुओं से बेहतर कोई दोस्त। नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक फायदे के लिए अल्पसंख्यक मुद्दे उठाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत सबसे सहिष्णु देश है। 
नायडू ने कहा कि राजनीति में दुर्भाग्य से 3 सी यानी कैश, कास्ट और कम्युनिटी का बोलबाला है। इन्हें हटाकर 4 सी यानी चरित्र, क्षमता, दक्षता और आचरण की वापसी होनी चाहिए। विविधता में एकता भारत की विशेषता है। 
  • शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि अंसारी इस्तीफा देकर जनता के बीच क्यों नहीं गए? वह ऐसी बातें कर मुस्लिमों में भ्रम पैदा न करें। 
  • भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, 'बयान देने के वक्त तक अंसारी उपराष्ट्रपति थे। पद पर बैठे व्यक्ति से ओछे बयान की उम्मीद नहीं थी। 

राज्यसभा में पीएम मोदी ने कहा, 'अंसारी राजनयिक रहे हैं। राजनयिक के हंसने, हाथ मिलाने का अर्थ आप तुरंत नहीं समझ सकते। यह कौशल 10 साल में जरूर इस्तेमाल हुआ होगा। रिटायरमेंट के बाद भी अल्पसंख्यक आयोग या अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में रहे। लेकिन 10 साल अलग तरह का जिम्मा रहा। पल-पल संविधान का दायरा। संभव है कुछ छटपटाहट रही होगी आपके अंदर। पर आज के बाद वैसा संकट नहीं, मुक्ति का आनंद रहेगा। आपको अपनी सोच के अनुसार काम का मौका मिलेगा। 
मुझ पर इल्जाम इतने लगाए गए, बेगुनाही के अंदाज जाते रहे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था- लोकतंत्र की पहचान इससे होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा मिली है। लोकतंत्र में अगर विपक्ष को स्वतंत्र और खुलकर सरकार की नीतियों की आलोचना की इजाजत हो तो वह अत्याचार में बदल जाती है। - राज्यसभामें विदाई भाषण 
मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है। भारतीय मूल्य, संस्थाएं कमजोर हो रही हैं। किसी की भारतीयता पर सवाल उठाना बेहद परेशान करने वाला है। बार-बार राष्ट्रवाद साबित करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। मैं एक भारतीय हूं यही काफी है। असहनशीलता का मुद्दा पीएम मोदी और कैबिनेट के सामने भी उठाया था। -राज्यसभाटीवी पर
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साभार: भास्कर समाचार 
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