Monday, May 15, 2017

लाइफ मैनेजमेंट: क्या आपके पास काम को सार्थक बनाने वाला जिंदगी का उद्देश्य है?

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)

शब्दों से राहत देने का उद्‌देश्य: 38 वर्षीय जितेंदर सिंह गुर्जर राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले हैं। उनके जिले के कई लोग भारतीय सेना में हैं। उन्होंने इन जवानों को अपनी पोस्टिंग की जगह से परिवारों को लंबे पत्र लिखते देखा है। उन्होंने परिवारों को उन पत्रों को भीगी आंखों के साथ चूमते देखा है, उन्हें सुरक्षित रखते देखा है और उनकी कद्र सोने के जेवरों से अधिक करते देखा है। जाहिर है कि उन्हें अहसास हो गया कि ये पत्र इन परिवारों को बहुत सुकून देते हैं। जाने कैसे इस घटना ने सेना को उनके दिल के करीब लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। आसपास का माहौल कई बार कॅरिअर चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शायद इसी वजह से युवावस्था में उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने की कोशिश की पर शारीरिक परीक्षण में नाकाम रहे, क्योंकि सीने और ऊंचाई के मामले में वे निर्धारित मानक से 1 सेंटीमीटर कम थे। फिर उन्होंने वर्दी पहनने का निश्चय कर लिया चाहे इसके लिए उन्हें किसी निजी सुरक्षा एजेंसी का सिक्योरिटी स्टाफ ही क्यों बनना पड़े। वे फिलहाल सूरत में वॉचमैन हैं। उसी दौरान उन्हें अहसास हुआ कि उनकी देशभक्ति मौसमी नहीं है बल्कि यह सदाबहार जुनून उन पर तभी सवार हो गया था, जब वे किशोर उम्र में थे। वे हमेशा से भारतीय सेना के लिए कुछ करना चाहते थे। हालांकि, अब वे अपने 14 वर्षीय पुत्र कक्षा 10वीं के छात्र हरदीप सिंह के जरिये भारतीय सेना में भर्ती होकर देशसेवा करने का अपना अधूरा सपना पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। प्राय: माता-पिता अपनी संतानों के माध्यम से अपने सपने पूरे होते देखना चाहते हैं। 
फिर करगिल युद्ध हुआ। सैनिकों की शहादत पर उन्हें बहुत दुख हुआ। उनकी नौकरी ऐसी है कि वे किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं कर सकते थे। इससे उन्हें नया विचार आया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शहीद होेने वाले सैनिकों के परिवारों को पत्र लिखकर शहीदों को शृद्धांजलि देने के साथ परिजनों को सांत्वना देना शुरू किया। 1999 के करगिल युद्ध के बाद से गुर्जर ने अब तक शहीदों के परिवारों को करीब 4,000 पत्र लिखे हैं और उनसे उन्हें 125 जवाबी पत्र भी मिले हैं। वे एक बात जानते हैं कि शब्द लोगों को सांत्वना देते हैं अौर ये उनके पास प्रचूरता में हैं। ध्यान रहें कि सिक्योरिटी गार्ड जैसा थैंकलेस जॉब करते हुए सैनिकों की पूरी जानकारी हासिल करना आसान नहीं है। लेकिन, जितेंदर यह करते हैं। इस जॉब में रहकर इस किस्म का ख्याल आना भी चेतना के ऊंचे स्तर का द्योतक है। 


उद्‌देश्य है जागरूकता फैलाना: उन्हेंकिसी चीज की आवश्यकता नहीं है। पूरी ज़िंदगी उन्होंने काम किया, ठीक-ठाक बचत भी उन्होंने की है और उन्हें हर माह 25 हजार रुपए पेंशन भी मिलती है, उस रकम से पांच गुना अधिक, जो वे खुद पर खर्च करते हैं। शेष पैसा वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने की हसरत रखने वाले बच्चों पर खर्च करते हैं लेकिन, वे यह रकम उनकी शिक्षा पर खर्च नहीं करते! वे यह पैसा उन बच्चों को विभिन्न राज्य और केंद्र सरकारों की योजनाओं से छात्रवृत्ति दिलाने में मदद देने पर खर्च करते हैं। इसके लिए वे युवा पीढ़ी में जागरूकता फैलाते हैं। 
जब से उन्होंने अपना नया पद -स्कॉलरशिप मास्टर- लिया है, उनका दिन सुबह ठीक 8 बजे शुरू हो जाता है। वे हर साल 160 सरकारी स्कूल-कॉलेज में जाते हैं और योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति यानी स्कॉलरशिप प्राप्त करने में मदद करते हैं। उनका काम है छात्रवृत्ति के बारे में जानकारी जुटाना और छात्रों में उसका प्रसार करना। उनकी आर्थिक मदद सिर्फ सरकारी फायदा पहुंचाने तक सीमित है। वे मजदूरों के रूप में काम करने वाले लोगों का श्रम कल्याण विभागों में पंजीयन कराने में भी मदद करते हैं ताकि यदि वे योजना के तहत हकदार हैं तो उन्हें सरकारी फायदे मिल सके। यह सब करके उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर समुदाय में अत्यधिक विश्वास हासिल कर लिया है कि वे उनके कहने पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। उदाहरण के लिए निर्माण कार्य में लगे छह मजदूरों को उनकी मदद से काफी फायदा मिला, तो वे एक विधवा के लिए छह लाख रुपए की लागत से मकान बनवा रहे हैं। मजदूरी में लगे लोगों का छह लाख जैसी बड़ी रकम परोपकार में खर्च कर देना कोईछोटी बात नहीं है। मिलिए मैंगलोर स्थित बंटवाल तालुका के 75 वर्षीय के नारायण नाईक से, जो किसी एफएमसीजी एग्ज़ीक्यूटिव से अधिक व्यस्त हैं और जिले में सबसे अधिक वांछित व्यक्ति हैं, क्योंकि उनके जीवन का उद्‌देश्य ही ऐसा है। 
फंडा यह है कि हर व्यक्ति की ज़िंदगी का कोई उद्‌देश्य होना चाहिए, क्योंकि इन्हें छोटे-बड़े में वर्गीकृत नहीं किया जाता। यह उद्‌देश्य ही जिंदगी को सार्थक बनाता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.