Wednesday, May 10, 2017

जीवन: बड़े सपने देखिए, सच्चाई और ईमानदारी से देखिए

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
स्टोरी 1: 1946 में उनका जन्म हुआ। 16 साल की उम्र से ही कर्नाटक संगीत में मां से बहुत अच्छा प्रशिक्षण लेने के बावजूद उन्हें फिल्म संगीत बहुत पसंद था। भले ही वे किसी भी भाषा की फिल्म क्यों हो। यहां तक कि उन्होंने
नई भाषाओं में दक्षता भी हासिल की और हाई स्कूल और कॉलेज के दिनों में जिंगल गाए। किंतु, उनका दिल हमेशा बॉलीवुड संगीत में लगता रहा, क्योंकि हिन्दी संगीत तब शीर्ष पर था। रोडियो मनोरंजन का लोकप्रिय जरिया था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उनका सबसे पसंदीदा रेडिया कार्यक्रम था- बिनाका गीतमाला, जो शीर्ष 16 गाने देता था। इन गीतों को सुनते हुए वह बॉलीवुड सिंगर बनने और अपने गाने इस कार्यक्रम में बजने का सपना देखती थीं। 25 साल की उम्र में उनके जीवन में यह अवसर गया। 1971 की हिन्दी फिल्म गुड्डी का उनका गीत 'बोले रे पपीहरा' इस कार्यक्रम में नंबर एक पर पहुंचा और उन्हें स्टारडम मिला। शायद पहली बार उन्होंने अपनी आवाज रेडियो स्टेशन में सुनी थी और वो भी तब के सबसे प्रसिद्ध रेडियो जॉकी अमिन सयानी के जरिये। आज 47 साल के कॅरिअर के बाद कई भाषाओं में गीत गा चुकी ये सिंगर अपना सपना पूरा होने के उस दिन को नहीं भूली हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में उन्हें घंटासला नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया है। उस प्रसिद्ध गाने के पीछे की वाणी जयराम की वह आवाज आज 71 साल की उम्र में चार रीजनल फिल्मों में आवाज दे रही हैं। 
स्टोरी 2: मंगेशवर पे पुणे के कलांब गांव के साधारण से किसान हैं। उनके पास पांच एकड़ का खेत है और वे प्याज की खेती करते हैं। उनका सपना विंस कोसुगा बनने का है, प्याज के व्यापार का ग्लोबल लीडर। जो लोग यह नहीं जानते कि विंस कोसुगा क्या है उनके लिए यह परिचय है- कोसुगा 1930 के एक प्याज किसान हैं। बहुत सफल। लेकिन सिर्फ खेती ही उनके लिए पर्याप्त नहीं थी। वे गेंहु और अन्य फसलों में भी अच्छा करना चाहते थे। फिर उन्हें एक विचार आया- क्यों उस फसल के लिए ही कुछ किया जाए, जिसे वे अच्छे से जानते हैं- प्याज। उन्होंने एक प्याज यूनियन बनाई। बाजार से प्याज लाए और 5000 एकड़ की अनुपयोगी भूमि को प्याज का ईडन गार्डन बनाया। 1950 के दशक के शुरुआती दिनों में उन्होंने शिकागो मर्केन्टाइल एक्सचेंज के जरिये प्याज की ट्रेडिंग की और सर्वाधिक 85 लाख डॉलर का ट्रेड किया। 1955 में यह बड़ी राशि होती थी। मंगेश जानते हैं कि इस एक सब्जी में इतनी ताकत है कि सरकार गिरा सकती है और लोगों को रुला सकती है।जैसे कोसुगा को शिकागो एक्सचेंज ने ओनियन किंग बनाया था वैसे ही मंगेश अपना इतिहास उस स्थान से बनाना चाहते हैं, जो महाराष्ट्र की राजनीति के लिए जाना जाता है। इसके लिए शिवाजी पार्क से बेहतर और कौन-सी जगह हो सकती है, जहां से बाल ठाकरे ने अपनी पाटी शिवसेना को ऊंचाई पर पहुंचाया था। बहुत बातचीत के बाद अब मंगेश हर सप्ताह महाराष्ट्र के आंतरिक हिस्सों के 30 किसानों को यहां लाने में सफल रहे हैं जो शिवाजी पार्क से अपनी उपज बेचते हैं। किसान अपने गांव के बिचौलियो को जिस कीमत में उपज बेचते थे उससे 60 प्रतिशत अधिक कीमत यहां मिलती है। आंतरिक हिस्सों के किसानों की चार सप्ताह पुरानी स्वामी समर्थ शेतकरी उत्पादक कंपनी अपनी उपज सीधे हर शनिवार को यहां बेचती है। सासवड, जुन्नर, मंचर, सतारा और पुरंदर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों से ताजा सब्जियां और फल यहां आते हैं, इसलिए इनका स्वाद भी अलग होता है। दो सप्ताह में ही फाइव स्टार होटलों और रिटेल स्टोर्स चेन जैसी बड़े और अन्य ग्राहक यहां आने लगे। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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