प्रीतीश नंदी (वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म निर्माता)
यह सब चार माह में हो गया लेिकन, बात इतनी ही नहीं थी। हमें लगभग रोज ही ई-मेल मिलते हैं, जिनमें लंदन, नैरोबी, एम्सटर्डम, बुडापेस्ट, लागोस और इस्तांबुल में हमंे विरासत में धन मिलने की सूचना होती है। हमसे कहा होता है कि जल्दी से बैंक खाते के सारे विवरण भेज दें ताकि हमारा पैसा हमें भेजा जा सके। यदि हमने उन ई-मेल्स का जवाब दिया होता तो हमें एक अरब डॉलर से ज्यादा पैसा मिल गया होता। मैं चकित हूं कि ये कौन दरियादिल लोग हैं! सौभाग्य से ऐसी कोई पेशकश सीरिया अथवा पाकिस्तान से नहीं मिली। अन्यथा मुझे हमारे ई-मेल इंटरसेप्ट करने वालों को गंभीरता से इनका स्पष्टीकरण देना पड़ता। हमें तो स्विस बैंक से भी ई-मेल मिलते हैं कि कोई धनी रिश्तेदार गुजर गया है (कोई ब्योरा नहीं होता कि ये कौन लोग हैं, कहां है और कब इनका निधन हुआ) और अपनी वसीयत में कुछ लाख डॉलर छोड़ गए हैं। मैं उन्हें अपने बैंक खाते का विवरण भेज दूं तो वे पैसा खाते में डालनेे की प्रक्रिया शुरू कर सकें। बात सिर्फ वसीयत में मिले पैसे के स्विस बैंक में पड़े रहने की नहीं है, मैं तो पेप्सी, कोकाकोला और मर्सेडीज़ बेंज़ की लॉटरियां भी जीतता हूं, जिसमें मुझसे कहा गया होता है कि मैं (आपने ठीक पहचाना) बैंक खाते की जानकारी भेजकर पैसा ले सकता हूं। ई-मेल तो ट्रैश में जाते हैं पर कुछ संभालकर रखता हूं। एक तो प्रिंस अलवालीद बिन तलाल थे। मुझे लगता है कि यह वही मशहूर सऊदी राजकुमार हंै, जिन्होंने फोर्ब्स पर इसलिए मुकदमा लगा दिया था, क्योंकि उसने उनकी संपत्ति 9.6 अरब डॉलर कम बताई। उन्होंने वादा किया कि यदि मैं बैंक खाते का ब्योरा भेज दूं तो वे मुझे 40 करोड़ डॉलर देंगे।
मेल की ही बात नहीं है हमें बैंक के लोगों (ऐसी बैंकों से भी जहां हमारा कोई खाता नहीं है) के भी फोन कॉल आते है अौर हमारे केवाईसी में छूटी हुई जानकारी की पूर्ति करना चाहते हैं। जब मैं बताता हूं कि उनकी बैंक में मेरा खाता नहीं है तो वे बड़ी खुशी से खाता खोलने को तैयार हो जाते हैं यदि मैं उन्हें बता दूं कि फिलहाल मेरा खाता किस बैंक में हैं और उसका ब्योरा क्या है। जिस बैंक में मेरा खाता है वहां से फोन करने वाला बैंककर्मी भी उतना ही अजनबी होता है। ऐसा कम ही होता है कि उसका कोई सरनेम हो और वे बताने के लिए राजी हों। रिलेशनशिप मैेजर ने मुझे बताया कि ये बैक ऑफिस के लोग हैं। एक-दो बार मैंने क्रेडिट कार्ड के ओवरड्यू को लेकर ऐसे फोन कॉल पर जवाब देने की गलती लगभग कर ही ली थी। सौभाग्य से मैं सही समय पर रुक गया। यह खतरा तब से और बढ़ गया है जब से बैंकों ने कूरियर से हर माह भेजे जाने वाले स्टेटमेंट रोककर पर्यावरण बचाने का फैसला ले लिया। वे मुझे सूचना भेजते हैं कि वे इस अच्छे काम में मेरी सहमति मानकर चल रहे हैं। अब मैं असंख्य ई-मेल खोलने में फंस जाता हूं और उनमें मूर्खतापूर्ण प्रमोशनल ऑफर मिलते हैं। इसलिए मैं उन्हें ट्रेश में भेज देता हूं। इसके साथ ही फोन कॉल्स का नया चक्र शुरू हो जाता है। मैं यह पता लगाने की कोशिश करके थक गया हूं कि कौन-से कॉल काम के हैं और कौन-से बेवजह के। मैंने सारे ही ब्लैंक कॉल लेना बंद कर दिए हैं। अब अज्ञात नंबर से कॉल आते हैं। अज्ञात लोग उस बैंक के प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं जहां मेरा खाता है। वे ब्योरे मांगते रहते हैं, जो उन्हें नहीं मालूम होने चाहिए।
इससे मैं अंतिम बिंदु पर आता हूं। पहले की तरह मुझे कूरियर से स्टेटमेंट भेजकर बैंक यह भी सुनिश्चित करते हैं कि मैं अपना स्टेटमेंट चेक करके यह पता लगा लूं कि अचानक उन्होंने ऐसी फीस काट ली है, जिसके बारे में मुझे कुछ मालूम नहीं है। जी हां, ऑनलाइन बैंकिंग बहुत अच्छी बात है लेकिन, इसके साथ बहुत गंभीर समस्याएं हैंै। यदि मुझे वसीयत में छोड़ा पैसा मिले तो ठीक है। यदि मैं लॉटरियां जीत सकूं तो ऐसा ही सही। यदि प्रिंस अलवालीद मुझे वादे के मुताबिक 40 करोड़ डॉलर भेजें तो मैं इस सच के साथ रहने को तैयार हूं। लेकिन, मैं अपना बैंक स्टेटमेंट पढ़ने या क्रेडिट कार्ड का बकाया जानने के लिए ई-मेल अटेचमैंट खोलने को राजी नहीं हूं और मैं संदिग्ध अतिरिक्त शुल्कों का भुगतान नहीं करने वाला हूंूं, जो कुछ बैंक मेरे स्टेटमेंट में चुपके से डाल रहे हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि मैं उन्हें नहीं पढ़ता।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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पिछले पखवाड़े रविवार की बात है, मुझे दो नोटिफिकेशन मिले सुबह 5:20 (और फिर 6:30 बजे) जिसमें बताया गया कि किसी ने मेरे एक क्रेडिट कार्ड को अमेरिका मेंे कहीं इस्तेमाल करने की कोशिश की लेकिन,
नाकाम रहा क्योंकि उसने मेरे कार्ड पर लिखी एक्सपायरी डेट गलत लिख दी। लेकिन, मैंने तो प्लास्टिक मनी के साथ और भी अजीब बातें होती हुई देखी हैं। इसलिए मैंने इसे भुला दिया। यदि वे एक्सपायरी डेट सही डाल देते और पैसे निकाल लेते तो मुझे बहुत देर तक पता नहीं चलता, क्योंकि वीकेंड पर मैं देर से उठता हूं। मैंने बैंक को सूचना दी और उन्होंने कार्ड ब्लॉक कर दिया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उससे चार दिन पहले मेरी पत्नी रीना को एक बड़ी रिटेल चैन से ई-मेल आया, जिसमें कोलकाता के ओल्ड जेस्सोर रोड स्थित फाॅर्चून सिटी के पते पर किसी कोडनैम से सैमसंग का कोई प्रोडक्ट डिलिवर करने का 75,590 का बिल भेजा गया था। यह बिल भी कोलकाता के ही मणिकोटला मैन रोड के मनीष चौक से जारी हुआ था। चूंकि कोलकाता में बरसों से हमारा कोई घर नहीं है और ओल्ड जैस्सोर रोड पर तो कभी था नहीं और हमें मालूम है कि मणिकोटला मैनरोड कहां है तो हमने इसकी अनदेखी कर दी। पांच दिनों बाद उसी रिटेलर से दो और बिल आए। एक 1 रुपए का और दूसरा 4,190 रुपए का। हमने किसी बिल का भुगतान नहीं किया। इसके चार माह पहले मेरी बेटी एक सुबह जागी तो पता चला कि किसी ने उसके एटीएम डेबिट कार्ड को रात में हेक कर लिया और 20 बार 10-10 हजार रुपए निकाल लिए। उसका डेबिट कार्ड उसके वाॅलेट में सुरक्षित रखा हुआ था। फोन पर हुई आखिरी आवाज ने उसे जगा दिया, जो सारी सलाह के बावजूद बिस्तर के पास ही चार्जिंग पर लगा था। इससे वह बच गई। उसने बैंक को फोन लगाया और कार्ड को रद्द कराया। हमने एफआईअार दर्ज कराई और बैंक ने ट्रांजेक्शन्स रिवर्स कर दिया। आज तक कोई नहीं जानता कि किसने पैसा निकाला। मुझे बताया गया कि आखिरकार उन्होंने एटीएम को खोज लिया था। यह सब चार माह में हो गया लेिकन, बात इतनी ही नहीं थी। हमें लगभग रोज ही ई-मेल मिलते हैं, जिनमें लंदन, नैरोबी, एम्सटर्डम, बुडापेस्ट, लागोस और इस्तांबुल में हमंे विरासत में धन मिलने की सूचना होती है। हमसे कहा होता है कि जल्दी से बैंक खाते के सारे विवरण भेज दें ताकि हमारा पैसा हमें भेजा जा सके। यदि हमने उन ई-मेल्स का जवाब दिया होता तो हमें एक अरब डॉलर से ज्यादा पैसा मिल गया होता। मैं चकित हूं कि ये कौन दरियादिल लोग हैं! सौभाग्य से ऐसी कोई पेशकश सीरिया अथवा पाकिस्तान से नहीं मिली। अन्यथा मुझे हमारे ई-मेल इंटरसेप्ट करने वालों को गंभीरता से इनका स्पष्टीकरण देना पड़ता। हमें तो स्विस बैंक से भी ई-मेल मिलते हैं कि कोई धनी रिश्तेदार गुजर गया है (कोई ब्योरा नहीं होता कि ये कौन लोग हैं, कहां है और कब इनका निधन हुआ) और अपनी वसीयत में कुछ लाख डॉलर छोड़ गए हैं। मैं उन्हें अपने बैंक खाते का विवरण भेज दूं तो वे पैसा खाते में डालनेे की प्रक्रिया शुरू कर सकें। बात सिर्फ वसीयत में मिले पैसे के स्विस बैंक में पड़े रहने की नहीं है, मैं तो पेप्सी, कोकाकोला और मर्सेडीज़ बेंज़ की लॉटरियां भी जीतता हूं, जिसमें मुझसे कहा गया होता है कि मैं (आपने ठीक पहचाना) बैंक खाते की जानकारी भेजकर पैसा ले सकता हूं। ई-मेल तो ट्रैश में जाते हैं पर कुछ संभालकर रखता हूं। एक तो प्रिंस अलवालीद बिन तलाल थे। मुझे लगता है कि यह वही मशहूर सऊदी राजकुमार हंै, जिन्होंने फोर्ब्स पर इसलिए मुकदमा लगा दिया था, क्योंकि उसने उनकी संपत्ति 9.6 अरब डॉलर कम बताई। उन्होंने वादा किया कि यदि मैं बैंक खाते का ब्योरा भेज दूं तो वे मुझे 40 करोड़ डॉलर देंगे।
मेल की ही बात नहीं है हमें बैंक के लोगों (ऐसी बैंकों से भी जहां हमारा कोई खाता नहीं है) के भी फोन कॉल आते है अौर हमारे केवाईसी में छूटी हुई जानकारी की पूर्ति करना चाहते हैं। जब मैं बताता हूं कि उनकी बैंक में मेरा खाता नहीं है तो वे बड़ी खुशी से खाता खोलने को तैयार हो जाते हैं यदि मैं उन्हें बता दूं कि फिलहाल मेरा खाता किस बैंक में हैं और उसका ब्योरा क्या है। जिस बैंक में मेरा खाता है वहां से फोन करने वाला बैंककर्मी भी उतना ही अजनबी होता है। ऐसा कम ही होता है कि उसका कोई सरनेम हो और वे बताने के लिए राजी हों। रिलेशनशिप मैेजर ने मुझे बताया कि ये बैक ऑफिस के लोग हैं। एक-दो बार मैंने क्रेडिट कार्ड के ओवरड्यू को लेकर ऐसे फोन कॉल पर जवाब देने की गलती लगभग कर ही ली थी। सौभाग्य से मैं सही समय पर रुक गया। यह खतरा तब से और बढ़ गया है जब से बैंकों ने कूरियर से हर माह भेजे जाने वाले स्टेटमेंट रोककर पर्यावरण बचाने का फैसला ले लिया। वे मुझे सूचना भेजते हैं कि वे इस अच्छे काम में मेरी सहमति मानकर चल रहे हैं। अब मैं असंख्य ई-मेल खोलने में फंस जाता हूं और उनमें मूर्खतापूर्ण प्रमोशनल ऑफर मिलते हैं। इसलिए मैं उन्हें ट्रेश में भेज देता हूं। इसके साथ ही फोन कॉल्स का नया चक्र शुरू हो जाता है। मैं यह पता लगाने की कोशिश करके थक गया हूं कि कौन-से कॉल काम के हैं और कौन-से बेवजह के। मैंने सारे ही ब्लैंक कॉल लेना बंद कर दिए हैं। अब अज्ञात नंबर से कॉल आते हैं। अज्ञात लोग उस बैंक के प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं जहां मेरा खाता है। वे ब्योरे मांगते रहते हैं, जो उन्हें नहीं मालूम होने चाहिए।
इससे मैं अंतिम बिंदु पर आता हूं। पहले की तरह मुझे कूरियर से स्टेटमेंट भेजकर बैंक यह भी सुनिश्चित करते हैं कि मैं अपना स्टेटमेंट चेक करके यह पता लगा लूं कि अचानक उन्होंने ऐसी फीस काट ली है, जिसके बारे में मुझे कुछ मालूम नहीं है। जी हां, ऑनलाइन बैंकिंग बहुत अच्छी बात है लेकिन, इसके साथ बहुत गंभीर समस्याएं हैंै। यदि मुझे वसीयत में छोड़ा पैसा मिले तो ठीक है। यदि मैं लॉटरियां जीत सकूं तो ऐसा ही सही। यदि प्रिंस अलवालीद मुझे वादे के मुताबिक 40 करोड़ डॉलर भेजें तो मैं इस सच के साथ रहने को तैयार हूं। लेकिन, मैं अपना बैंक स्टेटमेंट पढ़ने या क्रेडिट कार्ड का बकाया जानने के लिए ई-मेल अटेचमैंट खोलने को राजी नहीं हूं और मैं संदिग्ध अतिरिक्त शुल्कों का भुगतान नहीं करने वाला हूंूं, जो कुछ बैंक मेरे स्टेटमेंट में चुपके से डाल रहे हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि मैं उन्हें नहीं पढ़ता।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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साभार: भास्कर समाचार
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