Saturday, February 4, 2017

'बदसूरत' लड़की हो तो ज्यादा देना पड़ता है दहेज़, महाराष्ट्र में पढ़ाया जा रहा बेटी को अपमानित करने वाला पाठ

एक तरफ केंद्र सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों के जरिए समाज में लड़कियों-औरतों की स्थिति बेहतर करने के लिए प्रयारसत है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी शासित राज्य महाराष्ट्र में स्कूल की किताबों के माध्यम से दहेज और दुल्हन की 'बदसूरती' को लेकर जो बातें पढ़ाई जा रही हैं, वे इन सभी प्रयासों पर पानी फेरने का काम कर सकती हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।राज्य के हायर सेकेंडरी स्कूल की सोशियोलॉजी की किताब में 'भारत की बड़ी सामाजिक समस्याएं' नामक तीसरे चैप्टर में लिखा है कि अगर एक लड़की बदसूरत और दिव्यांग है तो यह उसके परिवार के लिए एक मुसीबत
बन जाती है। उसकी शादी के लिए घरवालों को काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं। ऐसी लड़की से शादी करने के लिए दूल्हा और उसका परिवार ज्यादा दहेज की मांग करते हैं। ऐसी लड़की के माता-पिता को उनकी मांग के मुताबिक दहेज जुटाना पड़ता है, जिससे समाज में दहेज प्रथा की प्रवृत्ति बढ़ती है। किताब के मुताबिक दहेज की मांग बढ़ाने वाले दूसरे कारकों में धर्म, जाति और सामाजिक स्तर भी अहम हैं। साथ ही यह भी लिखा है कि अपनी बेटी के लिए अच्छा दूल्हा तलाश रहे माता-पिता ज्यादा पैसा खर्च करने को तैयार रहते हैं, इस वजह से भी दूल्हे ज्यादा से ज्यादा दहेज मांगते हैं। 2013 में प्रकाशित होने से लेकर अब तक यह किताब हजारों बच्चे पढ़ चुके हैं। कई शिक्षकों ने किताब के इस हिस्से पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किताब पढ़ाने के दौरान वे इस हिस्से को छोड़ देते हैं ताकि बच्चों पर इसका बुरा असर पड़े। 
इस संदर्भ में हायर सेकंडरी बोर्ड के चेयरमैन गंगाधर म्हमाणे से बात की है ये किताब विगत तीन साल से पाठ्यक्रम में है किताब के उस हिस्से से समाज का वास्तविक चेहरा इस माध्यम से सब के सामने रहा है फिर भी किसी को इस संदर्भ मे आपत्ति हो तो उसका हल निकाला जाएगा अब ये हिस्सा बोर्ड ऑफ स्टडीज के पास भेजा जाएगा बोर्ड ऑफ स्टडीज उस पर पुनर्विचार करके अपनी राय देगा तब अंतिम फैसला लिया जाएगा। विनोद तावड़े, शिक्षा मंत्री , महाराष्ट्र 

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साभार: भास्कर समाचार 
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