हरियाणा में जाट सहित 6 जातियों को दिए गए आरक्षण का मामला फिर से उलझ गया है। शनिवार को याची पक्ष की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि अंतिम दौर में आकर भी याची की दलीलें किसी और तरफ जा रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि जहां से चले थे वहीं दोबारा आकर खड़े हो गए हैं। हाईकोर्ट ने याची
पक्ष को जनहित याचिका दाखिल करने का आधार बताने के आदेश जारी किए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हाई कोर्ट के इन आदेशों के कारण हरियाणा सरकार को झटका लगा और सरकार ने आगे केस सुनने से पहले आरक्षण पर लगी रोक को हटाने की अपील की गई। मगर हाई कोर्ट ने फिलहाल रोक हटाने से इन्कार कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 दिसंबर को निर्धारित की है। इससे पहले मामले की सुनवाई आरंभ होते ही शनिवार को याची पक्ष द्वारा दलीलें आरंभ की गई। इसी बीच याची पक्ष द्वारा दाखिल की गई एक अर्जी पीआइएल बेंच के सामने पहुंची तो हाईकोर्ट ने कहा कि इस अर्जी का इस याचिका में कोई औचित्य ही नहीं बनता है। हाईकोर्ट ने कहा कि बेंच के मन में यह सवाल है कि याची ने यह याचिका जनहित में दाखिल की है या निज हित में। इस दौरान याची पक्ष ने कहा कि संविधान के प्रावधानों के साथ ही यह मामला धर्म सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों की भी उल्लंघना है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि अभी तक यह मामला आरक्षण पर कमीशन की भूमिका को लेकर चल रहा था और अब याची पक्ष की दलीलें ही बदल गई हैं। ऐसे में लगता है कि नए सिरे से सुनवाई आरंभ करनी होंगी। हाईकोर्ट ने याची पक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब याची यह साबित करे कि इस याचिका को दाखिल करना उसका अधिकार है। ऐसे में समाज के लिए किया गया कार्य, आय का साधन बताने के साथ ही अजैब सिंह व भारतीय होम्योपैथी केस में पीआईएल के लिए बनाए गए नियमों की पालना करने के बारे में जवाब दाखिल करें।
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साभार: जागरण समाचार
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