एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
यह पढ़े-लिखे या अनपढ़ होने का मामला नहीं है। भविष्य कैसा होगा यह जानने के लिए किसी ज्योतिषी के पास जाने की जरूरत नहीं होती। कोई भी अपने आस-पास हो रहे बदलावों का अनुमान लगा सकता है। अगर यह
पंक्ति आपको अतिशयोक्ति लग रही है तो पुणे की चिंचवड़ मंडी के सब्जी वाले महेश गौड़ या पटना के मगध महिला कॉलेज के गोलगप्पे वाले सत्यम कुमार और पुलिस लाइन के पान विक्रेता अमित कुमार से पूछिए। ये मानते हैं कि बिज़नेस में बदलाव ही एकमात्र स्थायी चीज है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।चिंचवड में तीसरी पीढ़ी के सब्जी वाले महेश को अहसास हो गया था कि उनका बिज़नेस सालों-साल एक जैसा नहीं रह सकता। अपने छोटे भाई सागर और समीर के साथ वे दुकान संभालते हैं। उन्होंने देखा कि माह-दर-माह व्यवसाय गिर रहा है। तीनों भाइयों ने महसूस किया कि मंडी में लोगों की आवाजाही कम होती जा रही है, क्योंकि बड़े स्टोर सब्जियों की होम डिलिवरी कर रहे हैं और साथ ही सब्जियों को हाइजीनिक कंडिशन में रखते हैं। धनी वर्ग ने मंडी में अाना करीब-करीब बंद कर दिया है।
महेश ग्राहकों को फिर दुकान की ओर लाने के बारे में सोच रहे थे। उन्हें लगा कि कार्ड पेमेंट सिस्टम होना चाहिए और कई तरह की सब्जियों की वेरायटी भी हो। शुरू में इन कदमों को खास रिस्पॉन्स नहीं मिला, लेकिन पांच सौ और हजार के नोट बंद करने के फैसले के बाद वे अचानक हीरो बन गए और लोग उनकी दुकानों पर जमा होने लगे। प्रतिस्पर्द्धी हर तरह के डिस्काउंट देने के बाद भी उनके ग्राहक छीनने में असफल रहे। ग्राहकों की यह संख्या इसी तरह बनी रहे, इसके लिए उन्होंने कई स्कीम और सेवाएं शुरू की हैं। उन्होंने लोगों को आकर्षित करने के लिए विंडो ड्रेसिंग भी शुरू की है यानी ग्राहक को लुभाने के लिए वे सब्जियों को प्रदर्शित भी करने लगे हैं। वे मोबाइल वॉलेट का उपयोग भी कर रहे हैं। आज तीनों भाइयों के पास यह देखने का समय नहीं है कि आस-पास क्या चल रहा है। उनका बिज़नेस लगातार 18 घंट जोरदार चल रहा है। 90 प्रतिशत पेमेंट कार्ड से या मोबाइल वॉलेट से हो रहा है। अनुरोध पर वे मोबाइल वॉलेट की सुविधा भी देते हैं। तकनीक का थोड़ा ज्ञान और पूरी अकाउंटिंग से हर वेंडर पूरे बिज़नेस पर नजर रख रहा है, क्योंकि आने वाले हर पैसे का हिसाब होता है।
पटना के गोलगप्पे वाले का बिज़नेस हमेशा की तरह ही है। एक बार उन्होंने देखा कि एक कपड़ा व्यापारी अपने ग्राहक से पेटीएम वॉलेट से चार्ज कर रहा है। इसके बाद उन्होंने भी इसका इस्तेमाल करने के बारे में सोचा, क्योंकि अक्सर स्टूडेंट कस्टमर्स से खुल्ले पैसे की समस्या आती थी। उनके पास इन ग्राहकों की संख्या ज्यादा होती है, क्योंकि वे एक कॉलेज के बाहर दुकान लगाते हैं। 9 नवंबर के बाद से उनके बिज़नेस में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
24 साल के अमित की पान की दुकान पटना की पुलिस लाइंस में है। उनकी दुकान में नियमित ग्राहकों की संख्या बढ़ गई है, क्योंकि करीब डेढ़ महीने पहले ही उन्होंने पेटीएम से काम शुरू किया, ताकि प्रभावशाली लोगों को उधार देने की समस्या से दूर रह सकें। नोट बंदी की घोषणा के बाद यह उनकी खासियत बन गया और अचानक उनके पास इतना काम हो गया कि फुर्सत ही नहीं है। नोएडा के सेक्टर 6 में समोसा और चाय का बिज़नेस मंगलवार से सामान्य होने लगा है। यहां कई वेंडर्स ने इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट को अपना लिया है। अगर व्हाट्सएप पर सर्कुलेट हो रहे फोटोग्राफ्स पर भरोसा किया जाए तो जूते-चप्पल सुधारने वाले भी ई-पेमेंट करने लगे हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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