एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
स्टोरी 1: लखनऊ के लिए कालिदास मार्ग का वही महत्व है, जो नई दिल्ली के लिए पार्लियामेंट स्ट्रीट का है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति वहां रहते हैं- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव। उस 'प्रभावशाली'
गली के दूर के छोर पर खड़े मणिराम विचारों में गहरे खो गए थे। उनका एक हाथ साइकिल रिक्शा की सीट पर था और दूसरे से वे बीड़ी का कश लगा रहे थे। उनकी चिंता साइकिल रिक्शा को लेकर थी, जो उनके परिवार को दशकों से पाल रहा था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। रिक्शा बहुत पुराना हो गया था और इसके कई पुर्जे निकलते जा रहे थे।
अचानक उन्हें आवाज सुनाई दी, 'रिक्शा वाले।' आवाज उन्हें गहरे विचारों से बाहर ले आई। वे उस अच्छे वस्त्रों में सुसज्जित व्यक्ति को नहीं जानते थे। किंतु उन्हें वे ऐसे नहीं लगे, जो साइकिल रिक्शा में बैठना पसंद करेंगे। वे थे विजय शंकर शर्मा, भारत के सबसे बड़े मोबाइल कॉमर्स प्लेटफॉर्म के सीईओ। उन्हें कुछ घंटे पहले ही यश भारती अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलने 5, कालीदास मार्ग जा रहे थे, जो मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास है। विजय की कार भारी ट्रैफिक जाम में फंस गई थी और पहुंचने का एक ही तरीका था कि वे मणिराम की रिक्शा पर सवार हो जाएं।
मुख्यमंत्री के बंगले पर पहुंचने के बाद मणिराम एक सेकंड के लिए भी नहीं हिचकिचाए और जल्दी से यात्री को पोर्च में ले गए, जो मुख्यमंत्री की कार के लिए निर्दिष्ट स्थान था। जब सुरक्षाकर्मियों ने पूछताछ शुरू की, मुख्यमंत्री वहां गए और इशारे से उन्हें जाने को कह दिया। उन्होंने खुद मणिराम से पूछताछ की, लेकिन उनकी आमदनी, परिवार बच्चों के बारे में और उनका पता भी पूछा। दो घंटे बाद रिक्शा पर लौट रहे मणिराम अलग ही व्यक्ति थे, जिन्हें जीवन पर्यंत समाजवादी पेंशन मिलनी थी और लखनऊ में रहने के लिए क्वार्टर। दीपावली के तीन दिन पहले मणिराम और उनके परिवार के लिए जश्न शुरू हो गया था। यह उनके निर्भीक रवैये का नतीजा था कि वे बिना डरे अपना रिक्शा सीधे मुख्यमंत्री के कार पार्किंग एरिया में ले गए।
स्टोरी 2: हरियाणा के जींद जिले के धाकल गांव की सोनाली शेेओकंद सिर्फ 10वीं की छात्रा हैं, लेकिन उसे मालूम था कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, नई दिल्ली ने प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल और राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वे जिलास्तरीय समितियां गठित कर फसल काटने के बाद बचा हिस्सा जलाने पर निगरानी रखें और ऐसा होने से रोकें। यही वजह थी कि 24 अक्टूबर को जब उसके पिता अपनी दो एकड़ जमीन पर फसल काटने के बाद ठूंठ जलाने ही जा रहे थे कि उसने उन्हें इसके हवा की गुणवत्ता पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से अवगत कराया। उन्होंने इसे स्कूली लड़की का 'फालतू ज्ञान' समझकर नज़रअंदाज कर दिया और ठूंठ जलाने में लग गए। सोनाली ने पिता को सबक सिखाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी ईश्वर राम को सूचना दे दी, जिन्होंने तत्काल वहां छापा मारकर उसके पिता पर 2,500 रुपए का जुर्माना ठोंक दिया। पिछले गुरुवार को हरियाणा प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने राज्य में फसल जलाने से होने वाला प्रदूषण रोकने के लिए दिखाई उसकी ईमानदारी निर्भीकता को 11 हजार के नकद पुरस्कार और प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित करने का फैसला किया।
मंडल का मानना है कि इस तरह सोनाली के काम को मान्यता देने से अन्य बच्चों, युवाअों और किसानों को फसल के मौजूदा मौसम में घास-फूस जलाने के खिलाफ कदम उठाने की प्रेरणा मिलेगी। मंडल अधिकारियों को उम्मीद है कि इससे बच्चों को बढ़ावा मिलेगा कि वे राज्य और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण घटाने का संकल्प लें।
फंडा यह है कि जीवन में बेबाक निर्भीक रवैया अपनाने और ईमानदारी के अपने फायदे हैं। यह भीतरी खरापन ऊंचे चरित्र से आता है।
मंडल का मानना है कि इस तरह सोनाली के काम को मान्यता देने से अन्य बच्चों, युवाअों और किसानों को फसल के मौजूदा मौसम में घास-फूस जलाने के खिलाफ कदम उठाने की प्रेरणा मिलेगी। मंडल अधिकारियों को उम्मीद है कि इससे बच्चों को बढ़ावा मिलेगा कि वे राज्य और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण घटाने का संकल्प लें।
फंडा यह है कि जीवन में बेबाक निर्भीक रवैया अपनाने और ईमानदारी के अपने फायदे हैं। यह भीतरी खरापन ऊंचे चरित्र से आता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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