यूएन में पांच दिन पहले कश्मीर राग अलापने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को करारा जवाब मिला। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को दिए अपने 20 मिनट के भाषण में 10 मिनट सिर्फ पाकिस्तान औ आतंकवाद पर खर्च किए। उन्होंने भारत से पहले न्यूयाॅर्क, पेरिस, ढाका, इस्तांबुल, ब्रुसेल्स और काबुल में हुए हमलों का हवाला दिया। और साबित किया कि इसके पीछे कहीं कहीं पाकिस्तान का हाथ है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सुषमा ने कहा, 'आतंकवाद मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है। पहले यह टुकड़ों में था। मिलकर अब राक्षस बन चुका है। हमें देखना होगा कि आतंकियों का मददगार कौन है। कुछ देश आतंकवाद ही बोते, उगाते, बेचते और निर्यात भी करते हैं। उन्हें आतंकवाद को पालने का शौक है, हमें उन्हें अलग-थलग करना होगा।' हालांकि, कांग्रेस ने सुषमा के बयानों को कमजोर बताकर उसकी आलोचना की।
हमारे बीच ऐसे देश हैं, जहां यूएन की ओर से घोषित आतंकी स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं। और भय के बिना जहरीले प्रवचन दे रहे हैं। -इशाराहाफिज सईद की ओर
सबसेबड़ा सवाल है कि इन आतंकियों के पीछे कौन है? कौन इन्हें पैसे और हथियार देता है? अफगान यह सवाल उठा चुका है।
-इशारासिर्फ पाकिस्तान की ओर
पाक को सुषमा का करारा जवाब:
बताएं कि पीएम मोदी ने कौन सी शर्त रखी थी जब अपने शपथग्रहण में आपको बुलाया था। जब काबुल से लौटते समय लाहौर गए थे। भारत ने मित्रता के हाथ बढ़ाए। पर बदले में क्या मिला, पठानकोट और उड़ी जैसे हमले!
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प्रधानमंत्री ने सोमवार को सिंधु जल संधि की समीक्षा के बाद पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। ऐसे समझौते एकपक्षीय नहीं हो सकते। इसके लिए विश्वास और सहयोग जरूरी है। हालांकि, सिंधु जल आयोग की बैठक फिलहाल नहीं बुलाने का फैसला किया गया है। सिंधु जल बंटवारे के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, चेनाब का 80% पानी मिलता है।
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विदेश मंत्री कीस्पीच क्लियर एंड क्लिनिकल थी। इसमें चार संदेश थे। पहला,उन्होंनेभारत-पाक के बीच का अंतर बताया। भारत को जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में पेश किया। जो लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रहा है। सबूत के तौर पर सरकारी योजनाएं गिनाईं। दूसरा,पाकसमर्थित आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में रखा। इसलिए विश्व को इसे भारत की ही नहीं, बल्कि अपनी समस्या की तरह देखना चाहिए। तीसरा,साफकिया कि पाक हमें मानवाधिकार हनन का दोषी कहे। उनकी जमीन पर कहीं ज्यादा अत्याचार हो रहा है। बलूचिस्तान उसका नजीर है। बलूचिस्तान का जिक्र चौंकाने वाला नहीं था। मोदी भी 15 अगस्त को कर चुके हैं। पर ये अहम है कि भारत ने यूएन में बलूचिस्तान पर बोलने का फैसला किया। औरआखिर में येसाफ किया की भारत बातचीत से पहले शर्तंे नहीं रखता। दो सालों से हम पहल कर रहे हंै।
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