Friday, September 23, 2016

ई-ट्रेडिंग के विरोध में मंडी आढ़तियों की हड़ताल: बैकफुट पर आई सरकार ने दी 1 साल की मोहलत

किसानोंको अपनी फसल ऑनलाइन बेचने के लिए मंडियों में शुरू की जा रही ई-ट्रेडिंग के विरोध में आढ़ती व्यापारी एकजुट हो गए। गुरुवार को हरियाणा आढ़ती संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदेश भर की मंडियों में हड़ताल करके कुरुक्षेत्र की अनाज मंडी में विरोध सभा की। यहां प्रस्ताव पास कर ई-ट्रेडिंग का फैसला वापस लेने
के लिए सरकार को 3 दिन का अल्टीमेटम देते हुए 26 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आढ़तियों की विरोधी सुर देखते हुए सरकार भी शाम तक बैकफुट पर गई। सीएम ने आढ़तियों को बातचीत के लिए चंडीगढ़ बुलाया। इसमें तय हुआ कि ई-ट्रेडिंग सिस्टम लागू रहेगा, लेकिन एक साल तक आढ़ती पुराने ढर्रे पर काम कर सकेंगे। इससे पहले कुरुक्षेत्र अनाज मंडी में जिला प्रधान अशोक गुप्ता ने एसोसिएशन का फैसला पढ़कर सुनाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना सोचे समझे ई-ट्रेडिंग का फैसला लागू किया। जबकि खुद सरकार की तैयारी है, ही आढ़तियों के पास संसाधन हैं। आढ़तियों को कंप्यूटर ज्ञान तक नहीं है। इस दौरान तीन मांगें रखी गई। कोई भी आढ़ती ट्रेडिंग नहीं करेगा। आढ़ती अपनी पेमेंट सीधे अपने खाते में ही लेगा, कि किसान के खाते में। पंजाब आढ़ती एसोसिएशन का भी साथ मिला। 
किसलिए आया ई-ट्रेडिंग का कांसेप्ट: मंडी में सिस्टम से खरीद के पीछे सोच यह है कि मंडी में आए अनाज को सीधे रिकॉर्ड पर ले लिया जाए। इसके बाद इस अनाज की मॉनिटरिंग की जाए। जब तक कि अनाज अंतिम उपभोक्ता तक पहुंच जाए। अभी मंडियों में खरीद का काम मैनुअली हो रहा है। हरियाणा में 15 लाख किसान मंडी में फसल लेकर आते हैं, 35 हजार आढ़तियों के माध्यम से खरीद का काम होता है। करीब 17 हजार करोड़ की फसल खरीद मंडियों के माध्यम से होती है। इस पूरे सिस्टम को मैनुअली मेंटेन करना जटिल है। लेकिन ऑनलाइन होने से पूरा सिस्टम मॉनीटर हो सकता है। आढ़तियों को करीब 400 करोड़ रुपए का कमिशन खरीद से मिलता है। 
विरोध की वजह: आढ़तियों को लगता है कि पैसा सीधे किसान के खाते में चला जाएगा। इससे उनका पूरा सिस्टम बिगड़ सकता है। अभी किसान जरूरत पड़ने पर आढ़ती से एडवांस ले लेते हैं और बाद में फसल में यह उधार कट जाता है। आढ़ती किसान को उसकी जरूरत का दूसरा सामान उपलब्ध कराने में मदद करता है। एक आढ़ती अपने साथ तीन चार दुकानदारों के लिए भी बंधा बंधाया कस्टमर उपलब्ध कराता है। चिंता है कि इस सिस्टम के आने से देर सवेर अनाज की पेमेंट सीधे किसान के खाते में जाना शुरू हो जाएगी। 
सीएम ने कहा कि एक साल तक आढ़ती के पास दोनों विकल्प रहेंगे। चाहे ई-ट्रेडिंग करें या पुराने ढर्रे से। इस साल पेमेंट आढ़तियों के खाते में आएगी। जिन एक्सपोर्टर ने पेमेंट नहीं की है, उस मामले की जांच कराएंगे। जिस पर आढ़तियों ने हड़ताल का अल्टीमेटम वापस ले लिया। पिछले कई दिनों से विरोध के बावजूद सरकार झुकने को तैयार नहीं थी। गुरुवार को राज्यस्तरीय मीटिंग पर राज्यमंत्री कर्णदेव कंबोज थानेसर विधायक सुभाष सुधा नजर रखे हुए थे। दोपहर बाद सीएम की तरफ से बुलावा आया। राज्यमंत्री कंबोज, सुभाष सुधा, संघर्ष समिति प्रधान अशोक गुप्ता, दौलतराम समेत 21 सदस्यीय कमेटी सीएम से मिलने पहुंची। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.