Monday, September 26, 2016

पाकिस्तान के साथ सिंधु समझौता रद करने पर पीएम ने बुलाई बैठक

पाकिस्तान के साथ 56 वर्ष पहले किए गए सिंधु जल समझौते को रद करने की संभावना पर भारत ने गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस मुद्दे पर पूरे हालात को समझने के लिए सोमवार को बैठक बुलाई है। बैठक में जल संसाधन मंत्रलय के अधिकारी वर्ष 1960 में किए गए इस समझौते के तमाम
पहलुओं के बारे में मोदी को बताएंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ‘दैनिक जागरण’ ने पहले ही यह खबर प्रकाशित की थी कि शुक्रवार को जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने अपने अधिकारियों के साथ सिंधु जल समझौते को लेकर उच्चस्तरीय बैठक की थी। लेकिन अब पीएम की बैठक से साफ है कि भारत की मंशा इस बारे में सिर्फ चेतावनी देने की नहीं है। 
सिंधु नदी जल बंटवारे समझौते को रद करना बहुत ही अहम फैसला होगा। इस बारे में हम कोई भी कदम जल्दबाजी में नहीं उठा सकते। वैसे भी इस फैसले के कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा। यह एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इन सब मुद्दों के बारे में पीएम को बैठक में जानकारी दी जाएगी। सिंधु जल समझौता निरस्त करने की बात गुरुवार को तब आई थी जब विदेश मंत्रलय ने कहा था कि कोई भी समझौता आपसी भरोसे और विश्वास से चलता है। जब विश्वास हीं नहीं तो समझौते का क्या मतलब है। विदेश मंत्रलय के इस बयान को पहली बार भारत की तरफ से पाकिस्तान को इस समझौते को रद करने की धमकी के तौर पर देखा गया था। उसके बाद उमा भारती ने इस पर बैठक बुलाकर यह जता दिया था कि भारत का रुख इस बार कुछ और है। अब पीएम के स्तर पर बुलाई गई बैठक पूरे हालात की गंभीरता को दर्शाती है। बताते चलें कि यह समझौता लागू होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच दो बार बड़े युद्ध हो चुके हैं लेकिन भारत ने कभी इसे रद करने की बात नहीं कही। वैसे कई बार इस तरह की मांग उठती रही है। हाल में भाजपा नेता और पूर्व वित्त व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने एक आलेख लिखकर यह मांग की थी कि भारत को तत्काल प्रभाव से सिंधु जल समझौते को रद करने के कदम उठाने चाहिए। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में इस समझौते का काफी महत्व है क्योंकि उसे इसके जरिये ही ङोलम, चेनाब और सिंधु का 80 फीसद पानी मिलता है।
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साभारजागरण समाचार 
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