Wednesday, September 28, 2016

पाक को बेनकाब करते हुए कुछ और नए सबूत सौंपे भारत ने

उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान को लेकर भारत के तेवर दिन-ब-दिन कठोर होते जा रहे हैं। मंगलवार को भारत ने उड़ी हमले की जांच में मिले सुबूतों के आधार पर पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को फिर तलब किया और उन्हें इस हमले में पाकिस्तानी नागरिकों और संगठनों के शामिल होने के सुबूत सौंपे। बासित को पिछले
हफ्ते भी तलब कर कुछ सुबूत दिए थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। विदेश सचिव एस जयशंकर ने बासित को उड़ी हमले में शामिल आतंकियों की पहचान और उन्हें मदद करने वाले पाकिस्तानियों की जानकारी सौंपी। जयशंकर ने बासित को बताया कि उड़ी हमले के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की कोशिश जारी है। उड़ी हमला 18 सितंबर को हुआ था। इसके दो दिन बाद यानी 20 सितंबर को भी उड़ी और नौगाम में घुसपैठ की कोशिशें हुईं जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया। 21 सितंबर को स्थानीय ग्रामीणों ने दो घुसपैठियों को पकड़ कर सुरक्षा बलों के हवाले कर दिया। जांच में पता चला है कि ये दोनों पाकिस्तान से भारत में आतंकियों को घुसपैठ कराने का काम करते हैं। उन्होंने ही उड़ी आतंकियों को भी घुसपैठ कराई थी। दोनों के नाम और पते बासित को सौंप दिए गए। इन दोनों से पूछताछ में कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। मसलन, उड़ी हमले में मारे गए एक आतंकी का नाम हाफिज अहमद है। उसके पिता का नाम फिरोज है। वह गांव धारबांग, मुजफ्फराबाद का रहने वाला था। दोनों ने यह भी बताया कि उड़ी हमले में मारे गए दो अन्य आतंकियों के नाम मुहम्मद कबीर अवान और बशारत हैं। 23 सितंबर को मोलू सेक्टर के पास एक अन्य पाक घुसपैठिए अब्दुल कयूम (सियालकोट निवासी) को पकड़ा गया। उसने स्वीकार किया है कि उसे लश्कर-ए-तैयबा ने तीन हफ्ते तक टेनिंग दी थी। 
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साभारजागरण समाचार 
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