Saturday, March 5, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: हर व्यक्ति किसी न किसी का हीरो अवश्य होता है

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
पहली स्टोरी: पिछली रात नए सब एडिटर को मैं बता रहा था कि स्टोरी कैसे लिखी जाती है। अगले चार मिनट में जब मैं कॉपी टाइप कर रहा था, आसपास पूरी तरह खामोशी रही। बिना किसी गलती के कॉपी टाइप करने की मेरी काबिलियत कई लोगों की निगाहों की कसौटी पर थी। सौभाग्य से मैंने एक भी गलती किए बिना
स्टोरी टाइप की और गर्व के साथ सीट से उठा। एक क्षण के लिए मेरी नजरों के सामने एक व्यक्ति की छवि गई। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बेहराम कॉन्ट्रेक्टर, एक महान पत्रकार, जिनके साथ मैंने काम किया। उनकी आदत थी, वे बिना गलती किए कॉपी टाइप करते थे और वह भी तब जब खबरें टाइपराइटर पर टाइप होती थीं, जिनमें ऑटो स्पेल करेक्शन की सुविधा नहीं होती थी। आज वे इस दुनिया में नहीं हैं और उनकी पत्नी फरजाना उनके द्वारा शुरू किया गया दोपहर का अखबार निकालती हैं। वे हम सभी युवा पत्रकारों को भी ऐसी ही ट्रेनिंग देना चाहते थे और मैंने तय कर लिया था कि एक दिन ऐसा ही बनना है, बिना किसी गलती के कॉपी लिखना। और जब भी मैं यह काम करता हूं तो एक क्षण के लिए वे हमेशा मेरी नजरों के सामने आते हैं। और जहां तक साफ कॉपी का सवाल है वे मेरे हीरो हैं। 
दूसरी स्टोरी: वे एक छोटे कस्बे के हैं, जिसे राजस्थान में पाली कहा जाता है। अगर कोई उन पर जोक बनाना चाहे तो आसानी से कह सकता है कि वे फेल होने में विशेषज्ञ हैं। 12वीं में वे दो बार फेल हुए। ग्रेजुएशन के पहले साल में चार बार और हर प्रतियोगी परीक्षा में भी। इस तरह वे कुल 19 बार फेल हुए। उन्होंने प्री-मेडिकल टेस्ट से लेकर बेसिक स्कूल टीचिंग सर्टिफिकेट तक के टेस्ट दिए, लेकिन वे परीक्षा पास कर ही नहीं पाते थे। हर बार जब भी परीक्षा देने बैठते तो पिछली बार के फेल होने का डर कभी उन्हें सताता नहीं था। वे हमेशा पास होने की उम्मीद करते, पर कभी सफल नहीं होते। फेल होने में रिकॉर्ड बनाने वाला यह व्यक्ति काफी निराश होता, जैसा कि आजकल सभी बच्चे होते हैं, लेकिन उन्होंने कभी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जैसा कि आजकल के बच्चे देशभर में उठा रहे हैं। 
उनके दोस्त उनकी प्रेरणा बने। वे उन्हें फिर परीक्षा में शामिल होने और फिर कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। उन्होंने कभी निराश नहीं होने दिया। दोस्त उनके हीरो थे, जिन्होंने आईएएस जैसी परीक्षा पास की थी। वे भी इस परीक्षा को पास करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कभी भी अपनी पिछली असफलता के कारण धैर्य और आशा नहीं छोड़ी; इसलिए कड़ी मेहनत की और इस परीक्षा में भी शामिल हुए और यहां भी फेल हुए। वे फिर से यह परीक्षा देना चाहते थे, लेकिन आयु-सीमा पार कर चुके थे, जिसके कारण फिर आईएएस की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए। 
िकंतु उम्मीद नहीं छोड़ी और आगे बढ़ते हुए राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस (आरएएस) टेस्ट में शामिल हुए। यहां वे पास हुए और सरकारी ऑफिस में नौकरी भी मिली। मिलिए दलपत सिंह से। वे उदयपुर में पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग में अधिकारी के रूप में पदस्थ हैं। 
आज मीडिया देशभर के छात्रों को परीक्षा में फेल होने के डर से कोई बड़ा कदम उठाने के लिए प्रेरणा दे रहा है और दलपत सिंह की कहानी को सामने ला रहा है। सिंह भी खुलकर अपनी कहानी बता रहे हैं, ताकि अफलता की कहानियां कुछ जिंदगियां तो बचा सके। जबकि हममें से कई लोग असफलता की अपनी कहानी छिपा जाते हैं। सभी को उस साहस, उस उत्साह, उस समर्पण को पहचानना चाहिए और जीवन के साथ तैरना चाहिए, जिसमें गुलाबों की सेज के साथ कांटों के ताज भी होते हैं। 
फंडा यह है कि सफलताऔर असफलता कहानियां नहीं है, कुछ करने का साहस कहानियां हैं। और यह साहस असल में आपको जाने-अनजाने किसी की नजरों में हीरो बना सकता है। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.