मनोहर सरकार के नई अंतर जिला तबादला नीति लाने के बावजूद दूसरे जिलों में
तैनात प्राइमरी शिक्षकों की घर वापसी मुश्किल दिख रही है। नई नीति का
प्रारूप तैयार हो चुका है और जल्द ही इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। फिर भी
सामान्य श्रेणी के शिक्षक घर से दूर रह सकते हैं। चूंकि उनके जिलों में
पर्याप्त संख्या में पद
खाली नहीं हैं। नई नीति में सरकार महिलाओं को
ट्रांसफर में तरजीह देगी। इससे भी पुरुष शिक्षकों को मायूसी हाथ लगने वाली
है। हालांकि लगभग 400 महिला शिक्षक ही दूसरे जिलों में कार्यरत हैं। प्राइमरी शिक्षक इसलिए ही नई नीति में वरिष्ठता सूची के आधार पर तबादले
करने की मांग उठा रहे हैं। ऐसा न होने की स्थिति में अंतर जिला तबादला नीति
का बहुत ही कम शिक्षकों को लाभ मिलेगा। अभी लगभग 4500 शिक्षक दूसरे जिलों
में कार्य कर रहे हैं। इनकी नियुक्ति 2004, 2008 व 2011 में हुई है। वर्ष
2004 में चौटाला शासनकाल में 6500 शिक्षक भर्ती किए गए थे। इन्हें दूसरे
जिलों में नियुक्ति दी गई थी। इसमें मेवात, पलवल, फरीदाबाद, अंबाला,
पंचकूला, यमुनानगर, करनाल, पानीपत शामिल हैं। इन जिलों में नौकरी कर रहे
सबसे अधिक शिक्षक रोहतक, सोनीपत, झज्जर, भिवानी, हिसार, रेवाड़ी व
महेंद्रगढ़ के हैं। नई नीति में इनका तबादला अपने जिले में होना आसान नहीं
दिख रहा। चूंकि रोस्टर के हिसाब से सामान्य जातियों से संबंध रखने वाले
शिक्षकों के पद सरप्लस हैं। महेंद्रगढ़ तथा रेवाड़ी में पिछड़ा वर्ग के
शिक्षकों के पद सरप्लस हैं।
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साभार: जागरण
समाचार
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