हरियाणा में पंचायत चुनाव के लिए तय शर्तों के
बाद पंचायतों को मालामाल करने का तरीका सरकार ने निकाल लिया है। सर्वसम्मति
से चुनी जाने वाली पंचायतों को हरियाणा सरकार धनराशि मुहैया कराएगी। वहीं
सरकार की मंशा है कि पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान की मनमाफिक सफलता के लिए
पंचायतों को आगे आना होगा। जाहिर है सरकार की सोच है कि इस बार पंचायतों
का पूरा फोकस स्वच्छता अभियान की तरफ हो।
विकास
एवं पंचायती मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर ली है।
लिहाजा पंचायत चुनाव की फिजा इस बार बदली हुई होगी। सर्वसम्मति से चुने
जाने वाले पदाधिकारियेां की पंचायतों के लिए सरकार की तिजोरी खुली रहेगी।
ऐसे पदाधिकारियों के लिए सरकार ने राशि तय की है, जो पंचायत के खाते में
जाएगी। असल में सरकार ने रकम के सही उपयोग के मकसद से ही पंचायत चुनाव के
लिए शैक्षणिक योग्यता का फार्मूला तैयार किया है। सरकार
के मुताबिक पंचायतों को कई सारे आर्थिक मामलों में फैसला लेना होता है।
लाखों रुपये की ग्रांट पंचायत के खाते में सीधे जाती है। कई बार यह दिक्कत
आती है कि पैसा कहीं और चला जाता है। इसके बाद मामले दर्ज होते हैं और जांच
बिठाई जाती हैं। राजस्थान के बाद हरियाणा में यह प्रयोग सफल करने के लिए
पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने प्रजा तंत्र के प्रहरियों को सक्षम
बनाने की ठानी है।
1. सर्वसम्मति से चुनी गई पंचायतों को 11 लाख, पहले यह राशि दो लाख थी
2. सर्वसम्मति से सरपंच चुने जाने पर पांच लाख
3. सर्वसम्मति से पंच चुने जाने पर 50 हजार
4. ब्लाक समिति सदस्य चुने जाने पर दो लाख
5. जिला परिषद सदस्य चुने जाने पर पांच लाख
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साभार: अमर उजाला समाचार
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