Wednesday, April 1, 2015

निजी स्कूलों में गीता-रामायण-महाभारत पढ़ेंगे बच्चे

प्रदेश सरकार भले ही इस सत्र से सरकारी स्कूलों में ‘गीता’ का पाठ्यक्रम लागू नहीं कर सकी हो, लेकिन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध निजी स्कूलों में इसी सत्र से ‘गीता’ और ‘महाभारत’ की क्लास लगेगी। स्कूलों ने छात्रों को नैतिकता और कर्म का पाठ पढ़ाने के लिए एक अप्रैल से शुरू होने वाली क्लास के लिए यह व्यवस्था की है। दरअसल, अभी तक स्कूलों में सुबह प्रार्थना के वक्त नैतिकता की बातें और धर्म से जुड़ी शिक्षा दी जाती थी, लेकिन वक्त के साथ युवाओं में नैतिकता की कमी को मद्देनजर रखते हुए निजी स्कूलों ने अपने स्तर पर ‘गीता’
और ‘महाभारत’ की क्लास की व्यवस्था की है, ताकि विद्यार्थी धर्म और कर्म की अच्छी बातें आदतों में शामिल कर सकें और ताउम्र उनकी जिंदगी का हिस्सा बनी रहें। निजी स्कूलों में छठीं से आठवीं तक हिंदी विषय के साथ छात्रों को धर्म शिक्षा का पाठ शुरू किया गया है। वैदिक ट्रस्ट और अन्य संस्थाओं से जुड़े स्कूलों में अलग से धर्म शिक्षा की पुस्तक शामिल की गई है। सभी किताबें प्राइवेट प्रकाशकों की हैं। इसमें गीता, महाभारत के कुछ अंशों के साथ स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी श्रद्धानंद, महर्षि दयानंद सरस्वती समेत कई महापुरुषों की जीवनी और उनकी सीख को शामिल किया गया है। निजी स्कूलों में कक्षा छह के विद्यार्थियों के लिए ‘बाल रामकथा’ पुस्तक मौजूद है। इसमें पुरुषोत्तम राम की जीवन का संक्षिप्त परिचय को सीख के साथ कहानी के रूप में डाला गया है। इसमें अवधपुरी में राम, दो वरदान, चित्रकूट में भरत, दंडक वन में 10 वर्ष से लेकर लंका विजय तक और राम का राज्याभिषेक तक का जिक्र किया गया है। इसके माध्यम से छात्रों को अच्छाई और बुराई के प्रतीक के बारे में बताया जाएगा। कक्षा सात में ‘बाल महाभारत कथा’ पुस्तक पढ़ाई जाएगी। इसके माध्यम से छात्रों को भीष्म प्रतिज्ञा के जरिए दृढ़ निश्चय, पांडवों की रक्षा, मायावी सरोवर, प्रतिज्ञा-पूर्ति, महाभारत युद्ध के बारे में पढ़ाया जाएगा। कक्षा आठ में ‘भारत की खोज’ पुस्तक के जरिये छात्रों को आर्यों के आगमन, प्राचीनतम अभिलेख, धर्म ग्रंथ, पुराण, वेद, गीता, भारतीय संस्कृति की निरंतरता, उपनिषद्, भौतिकवाद के बारे में बताया जाएगा। इन पाठों के जरिये भारतीय संस्कृति के ज्ञान के साथ उनमें नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाएगा। स्कूलों में छठीं से आठवीं तक हिंदी के साथ नैतिक शिक्षा देने के लिए रामायण, महाभारत पढ़ाई जाएगी। सप्ताह में एक दिन स्पेशल क्लास लगेगी। छात्रों को इससे ज्ञान और संस्कारवान बनने में मदद मिलेगी।

साभार: अमर उजाला समाचार