Wednesday, May 17, 2017

खुद प्यासा रह दिल्ली की प्यास बुझा रहा हरियाणा

जेठ में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच हरियाणा में और गहरा गया है। नदियों और नहरों में पानी कम होने से गांव और शहरों में पेयजल सप्लाई आधी से भी कम रह गई। अब पूरा दारोमदार ट्यूबवेलों और वाटर टैंकरों पर है जो
प्रदेशवासियों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। पेयजल के लिए नहरी पानी पर निर्भर हरियाणा में फिलहाल नदियां सूखने के कारण करीब चार हजार क्यूसेक पानी की कमी चल रही है। खुद प्यासे हरियाणा को भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) से भी कम पानी मिल रहा, जबकि दिल्ली को पानी देने की मजबूरी में कई जिलों में पेयजल के लिए मारामारी की स्थिति है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भाखड़ा बांध से हरियाणा को मात्र पांच हजार क्यूसेक पानी मिल रहा है। इसमें से भी 200 क्यूसेक पानी राजस्थान चला जाता है। इसके अलावा 338 क्यूसेक पानी संगरूर और 496 क्यूसेक पानी दिल्ली भेजा जा रहा है। करीब 1650 क्यूसेक पानी दिल्ली जाता है। इस तरह भाखड़ा से 3966 क्यूसेक पानी ही हरियाणा के काम आ रहा है। 1यही हाल यमुना नदी का है जिसके तीन हजार क्यूसेक पानी में से 650 क्यूसेक दिल्ली चला जा रहा है। हथनीकुंड बैराज से मूनक नहर तक 800 क्यूसेक पानी जमीन पी जाती है क्योंकि यह नहर कच्ची है। इस तरह नदी का सिर्फ 1550 क्यूसेक पानी ही हरियाणा को मिलता है। ऐसे में यमुना और भाखड़ा से कुल 5516 क्यूसेक पानी मिल रहा है जो प्रदेश के लोगों और खेतों की प्यास बुझाने के लिए बहुत कम है।

पेय से निपटने के लिए सरकार गंभीर है। नहर आधारित जलघरों में पर्याप्त पानी का भंडारण करने के साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों में टैंकरों के सहारे लोगों की प्यास बुझाई जाएगी। इकलौते ट्यूबवेल से सप्लाई वाले क्षेत्रों में नए ट्यूबवेल लगाएंगे ताकि खराबी की स्थिति में पानी की सप्लाई रुके नहीं। रोहतक और भिवानी में पर्याप्त सप्लाई के लिए भालौट सब-ब्रांच में ज्यादा पानी छोड़ा जाएगा। - डॉ. बनवारी लाल, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी राज्य मंत्री, हरियाणा।
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साभार: जागरण समाचार 
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