Tuesday, May 16, 2017

तीन तलाक खत्म हुआ तो सरकार लाएगी नया कानून; सुनवाई जारी

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर तीन तलाक असंवैधानिक घोषित कर दिया जाता है तो शून्यता नहीं रहेगी। कानून लाकर मुसलमानों में शादी और तलाक को नियमित किया जाएगा। ये बात तीन
तलाक पर बहस के दौरान पीठ की ओर से पूछे गए सवाल पर अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कही। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आजकल मुस्लिमों में प्रचलित एक साथ तीन तलाक की कर रही है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सोमवार को केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए तीन तलाक का विरोध किया। रोहतगी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के अंदर तलाक की तीनों व्यवस्थाएं असंवैधानिक हैं क्योंकि ये भेदभाव वाली हैं। इस पर जस्टिस यूयू ललित ने सवाल किया कि अगर तलाक खत्म कर दिया जाएगा तो मुस्लिम पुरुषों के पास क्या विकल्प होगा। अटार्नी जनरल ने कहा कि सरकार नया कानून लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि तीन तलाक संविधान में दिए गए बराबरी के हक का उल्लंघन करता है। इस प्रचलन से मुस्लिम महिलाओं को देश में वह स्तर हासिल नहीं है जो देश में दूसरे समुदाय की महिलाओं को है। रोहतगी ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देश भी सुधार की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन हम धर्मनिरपेक्ष देश होने के बावजूद इन मसलों पर आजतक बहस कर रहे हैं। उन्होंने अलग-अलग देशों में वैवाहिक कानूनों से जुड़ी सूची भी कोर्ट को सौंपी। रोहतगी ने कहा कि देश के कई हाई कोर्ट एक साथ तीन तलाक के खिलाफ आदेश दे चुके हैं। उन्होंने केरल, गुवाहाटी, दिल्ली और मद्रास हाई कोर्ट के तीन तलाक पर दिए गए फैसलों का हवाला दिया। 
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ किया कि इस संविधान पीठ के पास समय की कमी है, इसलिए फिलहाल सिर्फ तीन तलाक पर ही विचार किया जाएगा लेकिन बहुविवाह और हलाला निकाह का मसला बंद नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि इसे लंबित रखा जाएगा और इस पर बाद में विचार होगा। कोर्ट ने यह बात तब कही जब अटार्नी जनरल रोहतगी ने कहा कि दो न्यायाधीशों की पीठ ने तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला के तीनों मुद्दे विचार के लिए संविधान पीठ को भेजे थे। कोर्ट को तीनों पर विचार करना चाहिए। 
माफी की मांग : उधर केंद्र की ओर से पेश एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को अपने हलफनामे की भाषा के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने बोर्ड के हलफनामे के दो अंशों का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि तलाक न मिलने पर पति पत्नी की हत्या भी कर सकता है और दूसरा कि ऐसे निर्णय लेने के मामले में पुरुष भावात्मक रूप से ज्यादा मजबूत होते हैं। केंद्र की ओर से सोमवार को बहस पूरी हो गई।

तलाक मुद्दा नहीं, पितृसत्तात्मक व्यवस्था है मुद्दा: तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि तलाक कोई मुद्दा नहीं है। मुद्दा तो पितृसत्तात्मक व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि इस्लाम ही क्यों सभी धर्मो से जुड़े पर्सनल लॉ पितृसत्तात्मक हैं। क्या सबको रद किया जाएगा। हंिदूू पर्सनल लॉ में पिता वसीयत में लिख सकता है कि उसकी संपत्ति बेटी को नहीं मिलेगी। लेकिन इस्लाम में ऐसा नहीं हो सकता। कोई मुस्लिम अपनी बेटी के खिलाफ वसीयत नहीं लिख सकता। उन्होंने कहा कि इस लिहाज से हंिदूू पर्सनल लॉ महिलाओं साथ भेदभाव करता है तो क्या सुप्रीम कोर्ट हंिदूू पर्सनल लॉ को रद करेगा। उन्होंने कहा कि पर्सनल लॉ को संविधान में संरक्षण प्राप्त है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मंगलवार को बहस जारी रहेगी।

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साभार: जागरण समाचार 
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