Thursday, August 18, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: सुरक्षित भविष्य के लिए वर्तमान को जीना न छोड़ें

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु) 
44 सालकी सैडी विंडमिल इंग्लैंड में वेस्ट मिडलैंड के किंग्सविनफोर्ड की हैं और वहां असिस्टेंट हैड टीचर हैं। स्कूल में उनका दिन सुबह 7.45 पर मीटिंग, शरारती बच्चों को संभालने, सोशल सर्विसेस, पैरेंट मीटिंग और स्कूल काउंसलर मीटिंग से शुरू होता। जब वो लौटती तो शाम के 5 बज चुके होते हैं। उनके 46 साल के पति जूल्स एनर्जी कंपनी में मैनेजर हैं। दोनों ऐसे जीवन की गिरफ्त में हैं, जिसमें कॅरिअर और स्टेटस सबसे महत्वपूर्ण हैं। दोनों की महात्वाकांक्षा समान है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बुनियादी शानोशौकत में रहने के लिए विला, काम पर जाने के लिए कार, पहनने के लिए महंगे कपड़े तो हैं ही, इनके अलावा भी अंतहीन जरूरते हैं। चूंकि दोनों को नौकायन का शौक है, इसलिए अपने लिए एक 14 मीटर की बोट किस्तों में खरीदी ली। 
फ्रांस की दो शुरुआती ट्रिप्स के बाद, जिसके बारे में वे अक्सर बातें करते, वे मुश्किल से ही अपनी बोट का इस्तेमाल कर पाए। सेलिंग ट्रिप उनकी श्रेष्ठता का प्रतीक बन गया और साल में एक बार ट्रिप पर जाते। लोन के दस साल बीत गए और सभी किस्ते अदा कर दी गईं। संपत्ति बनती गई और स्तर बनाए रखने के लिए और चीजें संग्रह करने की लालसा बढ़ती गई। इसका सीधा असर यह हुआ कि वित्तीय सुरक्षा के जाल से वे कभी ब्रेक नहीं ले सके और वर्तमान जीवन जी सके। जब वे लगातार भविष्य की ओर देख रहे थे, वर्तमान को नजरअंदाज कर रहे थे, वर्तमान उनके सामने उपस्थित हो गया। 2012 में एक दिन सैडी के गले में सूजन गई और उनके मसूड़ों से खून आने लगा। जांच हुई तो जीवन की धारा बदल देने वाला समाचार मिला। 
उन्हें क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया हुआ था। रोज अस्पताल जाना, सर्जरी, कीमोथेरेपी, दवाएं, स्वच्छ हवा, योग, व्यायाम और वर्तमान में रहना अहम हो गया। भविष्य के लिए जोड़ना पीछे छूट गया। एक साल बाद उनके भारतीय डॉक्टर प्रेम महेंद्र ने बताया कि खुशी की बात है कि आप पूरी तरह ठीक हैं। सैडी अपनी कुर्सी से उछल पड़ीं और उन्होंने डॉक्टर को गले लगा लिया। 
अस्पताल से लौटकर इस दंपती ने तय किया कि वर्तमान लाइफ स्टाइल छोड़ेंगे और नई शुरुआत करेंगे। उन्होंने सबकुछ बेच दिया। फर्नीचर, डिजाइनर सूट, कैंपर वैन और ओढ़ना-बिछौने तक सब कुछ। उन्होंने अपने लिए ऐसे कपड़े रखे जो बाल्टी में धोए जा सकें और जिन्हें इस्तरी करने की जरूरत हो। अप्रैल 2013 में उन्होंने बोट को ही घर बना लिया। नौका से यात्राएं शुरू की। वे चैनल आइलैंड, पुर्तगाल, जिब्राल्टर, मोरक्को, बेलिरिक और स्पेन सहित कई जगह गए। सिर्फ पिछले साल में ही इटली के सार्डिनिया, अल्बानिया और ग्रीक इआनिअन आइलैंड गए। इसके बाद माल्टा और सिस्ली भी गए। इस साल उनकी योजना ब्लैक सी से ग्रीस, तुर्की, इस्तांबुल और फिर जॉर्जिआ, रूस, रोमानिया और बुल्गारिया जाने की है। 
उनकी नई जिंदगी में योग, ध्यान, तैराकी, चहलकदमी, उछाल भरती डॉल्फिन देखना, खाना बनाना और स्थानीय ताजा भोजन करना शामिल है। जब वे कहीं पहुंचते हैं तो स्थानीय लोगों से बात करते है और स्थानीय बाजार जाते हैं। बार्बिक्यू के लिए मछली पकड़ते हैं। अपने लिए सलाद खुद उगाते हैं। और ब्रेड भी खुद बनाते हैं। जब जाने के लिए तैयार होते हैं तो नेविगेशन मैप कॉकपीट पर बिछाते हैं और अगली मंजिल का फैसला करते हैं। नियमित चैकअप और अपने डॉक्टर से छह महीने में एक बार मिलना जारी है। अब वे एक साथ ज्यादा पैसा नहीं, समय खर्च करते हैं। उनके पास लोगों से जुड़े रहने के लिए इंटरनेट है, वो भी कई स्थानों पर उन्हें मुफ्त मिल जाता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
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