Sunday, August 21, 2016

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के 24वें गवर्नर बने ऊर्जित पटेल

आखिरकार भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को लेकर चल रही अटकलबाजी खत्म हो गई। उर्जित पटेल रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर होंगे। अपनी कड़ी मौद्रिक नीति के लिए पहचाने जाने वाले मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन के स्थान पर चुने गए पटेल फिलहाल रिजर्व बैंक में ही डिप्टी गवर्नर के पद पर काम कर रहे हैं। पटेल को मौद्रिक नीति और महंगाई से लड़ने वाले जुझारू विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता है। डिप्टी गवर्नर के तौर पर अभी वह इसी
विभाग का जिम्मा संभाल रहे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पटेल की नियुक्ति तीन साल के लिए हुई है और वह चार सितंबर को राजन के रिटायर होने पर अपना कार्यभार संभालेंगे। तीन साल बाद उन्हें दो साल का कार्य विस्तार भी दिया जा सकता है। एस. वेंकटरमण के बाद राजन अकेले गवर्नर हैं जिनका कार्यकाल तीन साल तक ही सीमित रहा। यह पहला मौका है जब रिजर्व बैंक के गवर्नर का चयन कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक कमेटी की सिफारिश पर हुआ है। कमेटी की सिफारिशों के ही आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति (एसीसी) ने पटेल के नाम पर मुहर लगाई है। एसीसी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और इसके एकमात्र सदस्य गृहमंत्री हैं। अक्टूबर में 53 वर्ष की आयु पूरी कर रहे पटेल ने अपनी पढ़ाई लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स, ऑक्सफोर्ड और येल यूनिवर्सिटी से की है। येल से उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी और ऑक्सफोर्ड से एमफिल की डिग्री ली। देश में पहली बार महंगाई दर का लक्ष्य तय करने का फैसला भी पटेल की अगुवाई वाली कमेटी की सिफारिशों के आधार पर हुआ था। इसी के आधार पर तय हुआ कि अगले पांच साल के लिए खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य चार फीसद रहेगा जो ज्यादा से ज्यादा छह फीसद तक जा सकती है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने की जिम्मेदारी गवर्नर और इस कमेटी की होगी जो संसद के प्रति जवाबदेह होगी। पहले ब्याज दरें तय करने का पैमाना थोक महंगाई दर को माना जाता था। लेकिन खुदरा महंगाई दर को इसका पैमाना बनाने की सिफारिश करने का श्रेय भी पटेल की अध्यक्षता वाली इस कमेटी को ही जाता है। हालांकि अब यह स्पष्ट है कि गवर्नर बनने के बाद पटेल अकेले मौद्रिक नीति या ब्याज दरों में फेरबदल का फैसला नहीं कर पाएंगे। अब यह काम छह सदस्यों वाली एक कमेटी करेगी जिसके मुखिया गवर्नर होंगे। रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर के तौर पर वह तीन साल का एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और इसी वर्ष उन्हें दो साल का विस्तार दिया गया था। डिप्टी गवर्नर बनने से पहले वह बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में एनर्जी एडवाइजर के तौर पर काम कर रहे थे। पटेल 1990 से 1995 तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) में भी काम कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने अमेरिका, भारत, बहमास और म्यांमार डेस्क पर काम किया। आइएमएफ की तरफ से ही वह 1996-1997 में रिजर्व बैंक में डेपुटेशन पर आए। इस दौरान भारत में डेट मार्केट को विकसित करने संबंधी नियम बनाने में उनका अहम योगदान रहा। साथ ही बैंकिंग सुधार, पेंशन फंड रिफॉर्म, रियल एक्सचेंज रेट और विदेशी मुद्रा बाजार को विकसित करने में भी उन्होंने रिजर्व बैंक को परामर्श दिया। देश में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पहली सरकार को भी उनकी विशेषज्ञता का लाभ मिला। 1998 से 2001 तक उन्होंने वित्त मंत्रलय के आर्थिक मामलों के विभाग में कंसल्टेंट की भूमिका निभायी। पटेल उन चुनिंदा आरबीआइ गवर्नरों की जमात में शामिल हो गए हैं जिनका बैकग्राउंड कॉरपोरेट जगत से जुड़ा है। वह रिलायंस इंडस्ट्रीज में प्रेसीडेंट (बिजनेस डवलपमेंट), आइडीएफसी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर व मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य और गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के बोर्ड में सदस्य भी रह चुके हैं। साल 2000 से 2004 के बीच पटेल कई केंद्रीय व राज्य स्तरीय उच्चाधिकार समितियों के सदस्य भी रहे।
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साभारजागरण समाचार 

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