साभार: जागरण समाचार
पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का आदेश प्रिंस सलमान ने ही दिया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए भी अब तक के जांच के बाद इस नतीजे पर पहुंचती नजर आ रही हैं। एक अमेरिकी अधिकारी ने पहचान
उजागर न होने की शर्त पर ये जानकारी उजागर की है। हालांकि, सऊदी सरकार शुरुआत से इस दावे को नकार रही हैं।
बता दें कि पत्रकार जमाल खशोगी की बीते महीने सऊदी दूतावास में हत्या हो गई थी। खशोगी दूतावास में प्रवेश अपने विवाह से पहले कुछ क़ाग़ज़ात लेने आए थे। सबसे पहले तुर्की ने तुर्की दावा किया था कि खशोगी की वाणिज्य दूतावास में ही हत्या हो गई है।
एक अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि यह निष्कर्ष तुर्की सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई रिकॉर्डिग और अन्य साक्ष्यों पर आधारित है। अधिकारी का कहना है कि जांचकर्ताओं का यह भी मानना है कि खशोगी की हत्या जैसा ऑपरेशन बिना क्राउन प्रिंस की मंजूरी और संज्ञान के खत्म हो ही नहीं सकता। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सऊदी अरब के दूतावास की प्रवक्ता ने कहा कि ये आरोप और दावे झूठे हैं। हम लगातार इस संदर्भ में अलग-अलग थ्योरी सुन रहे हैं। सीआईए ने हालांकि अभी इस बारे में किसी तरह का आधिकारिक ऐलान नहीं किया है।
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, सीआइए का आकलन है कि प्रिंस के भाई खालिद बिन सलमान ने जमाल खशोगी को फोन कर इंस्ताबुल के वाणिज्यिक दूतावास जाकर दस्तावेज लेने के लिए प्रोत्साहित किया था। सूत्रों ने बताया कि खालिद ने अपने भाई (क्राउन प्रिंस) के आदेश पर यह फोन पत्रकार को किया था। हालांकि, खालिद ने ट्वीट कर इससे इनकार किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी खशोगी को फोन नहीं किया।
सीआइए ने तुर्की द्वारा उपलब्ध कराई गई ऑडियो रिकॉर्डिग की भी जांच की। यह रिकॉर्डिग दूतावास के भीतर की है। इसके साथ ही खशोगी की हत्या के बाद दूतावास के भीतर से किए गए एक फोन कॉल की भी रिकॉर्डिग की जांच की गई।
प्रिंस सलमान की निंदा के लिए मिलती थीं धमकियां
सऊदी अरब के मौजूदा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की निंदा करने वाले जमाल खशोगी को अक्सर धमकियां मिलती थी। इन धमकियों के कारण पिछले साल उन्होंने सऊदी अरब छोड़ दिया था। सऊदी अरब के अधिकारी उन्हें क्राउन प्रिंस की नीतियों की निंदा करने के चलते धमका रहे थे।
सऊदी अरब के मौजूदा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की निंदा करने वाले जमाल खशोगी को अक्सर धमकियां मिलती थी। इन धमकियों के कारण पिछले साल उन्होंने सऊदी अरब छोड़ दिया था। सऊदी अरब के अधिकारी उन्हें क्राउन प्रिंस की नीतियों की निंदा करने के चलते धमका रहे थे।