गोरक्षा व गो-संवर्धन के मुद्दे पर विपक्षी हमलों से घिरी प्रदेश सरकार अब हर लावारिस गाय के रहने के लिए 25 गज और चारे के लिए गज जमीन मुहैया कराएगी। गायों वाली गोशालाओं को 10 एकड़ पंचायती जमीन दी
जाएगी ताकि गोवंश भूखा न रहे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बैठक में गोसंरक्षण की व्यवस्था में झोल को दूर करने के लिए कई अहम फैसले लिए गए। गोचराण भूमि स्थानीय पंचायतों द्वारा पट्टे पर ली जाएगी। इस जमीन का इस्तेमाल केवल गाय के लिए ही होगा। न्यूनतम लावारिस गोवंश को अपनाने वाली संस्था को आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए प्रति गाय पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। बैठक के बाद पत्रकारों से रूबरू कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि पूरे प्रदेश में करीब 71 हजार एकड़ भूमि गोचराण के लिए उपलब्ध है, जिसमें से दो-तिहाई भूमि पर बणी है। एक तिहाई भूमि पर खेती की जा रही है। अब पंचायतें इस जमीन को भी शामलात देह भूमि की तरह पट्टे पर दे सकेंगी। जब इस भूमि का उपयोग गाय के लिए होगा तो उसे उसी समय खाली करना होगा भले ही उस पर फसल खड़ी हो। धनखड़ ने बताया कि वर्ष 2012 की पशु जनगणना के अनुसार 1.17 लाख बेसहारा पशु थे। लगभग एक लाख गोवंश 400 से अधिक गोशालाओं में है। हर गोवंश की टैगिंग की जा रही है। कोई भी पशुओं को लावारिस छोड़ेगा तो उसे स्थानीय शासन के पास 5100 रुपये जमा कराने होंगे।
विपक्ष का आरोप है कि गोरक्षा से जुड़े तमाम सरकारी इंतजामों का कोई फायदा नहीं हो रहा है। इस मसले को लेकर लंबे समय से संघर्षरत गोपाल दास के समर्थन में उतरे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर खुद भी आंदोलन छेड़े हुए हैं। पिछले दिनों इसी मसले को लेकर उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात भी की। दूसरी तरह विपक्ष के नेता अभय चौटाला भी आमजन के बीच गोवंश की अनदेखी का मुद्दा लगातार उठाते रहे हैं। हालांकि सरकार का दावा है कि गोरक्षा व गो-संवर्धन कानून लागू होने से हालात सुधरे हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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